Case Study

भारत में Doctors का Future क्या है? | Earnings, Struggle & Competition | CA Rahul Malodia

भारत में Doctors का Future क्या है? | Earnings, Struggle & Competition  | CA Rahul Malodia

डॉक्टर्स के तो मजे हैं साहब ये खूब पैसे छापते हैं बैठ के अजी डॉक्टर बनने में थोड़ा बहुत स्ट्रगल है माना लेकिन एक बार बन गए फिर देखो मजे ही मजे पैसा ही पैसा ये सब बातें कहने सुनने में अच्छी लगती है बट भैया ऐसा है नहीं लेकिन 90 पर डॉक्टर्स जो जॉब कर रहे हैं या छोटा-मोटा क्लीनिक चला रहे हैं उनके भैया कमाई बहुत कम और स्ट्रगल बहुत ज्यादा है जैसे एक टाइम पे.

इंजीनियर का क्रेज था एमबीए का क्रेज था फिर लाखों लोग करने लगे फिर कंपटीशन हो गया और सबकी कमाइयां गिर गई सेम काम हो गया है एमबीबीएस में और समय के साथ य हालत और खराब होगी जो डॉक्टर 1010 साल मेहनत कर रहे हैं एक एक करोड़ रुपए पढ़ाई में फूक देते हैं ऐसे व्यक्तियों को आज 1 लाख कमाने में भी जोर आ रहा है और आगे जाके ये कमाई और कम होने वाली है डॉक्टर्स जो.

सेफेस्ट प्रोफेशन माना जाता है नोबल प्रोफेशन माना जाता है समाज में पैसा प्रतिष्ठा दोनों है उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है क्या कारण है इसकी जिम्मेदार सरकार है बड़े हॉस्पिटल या डॉक्टर्स खुद एक डॉक्टर बनने में कितना समय लगता है कितना पैसा खर्च होता है और उसके बनने के बाद कितनी कमाई वो कर पाता है आज करेंगे सबका एनालिसिस इंडिया के हेल्थ केयर सिस्टम में.

प्रॉब्लम क्या है किसको डॉक्टर बनना चाहिए किसको डॉक्टर नहीं बनना चाहिए सब बताएगा आपका भाई राहुल आज की वीडियो के माध्यम से हम फैक्ट और डाटा की मदद से देखेंगे एक डॉक्टर की जर्नी एक डॉक्टर का दर्द और एक डॉक्टर की कमाई की असली हकीकत और मुझे उम्मीद है इस वीडियो देखने के बाद आपका डॉक्टर्स के प्रति सम्मान और संवेदना दोनों बढ़ेगी और फिर शायद किसी डॉक्टर पे.

कोई परिजन हमला नहीं करेगा तो अगर आपके परिवार में या आसपास में कोई डॉक्टर है कोई डॉक्टर बनने का प्रयास कर रहा है नीट की तैयारियां कर रहा है या 10थ में है और साइंस लेने की सोच रहा है उसको ये वीडियो जरूर भेजना ताकि वह अपना फ्यूचर का डिसीजन अभी से ले सके कि करना है कि नहीं करना तो जनता जनार्दन की जय बोल के करते हैं वीडियो की.

[संगीत] शुरुआत तो पहले समझते हैं एक डॉक्टर की जर्नी को एक डॉक्टर बनने की शुरुआत किस उम्र में होती है वो किस-किस पड़ाव से गुजरता है उसके कितने पैसे लगते हैं कितना समय लगता है और फिर उसके मुकाबले उसको कितनी कम सैलरी या कितनी कम कमाई होती है एक बच्चा है राजू रस्तोगी उसको बनना है डॉक्टर तो उसकी डॉक्टर बनने की जर्नी का.

पहला पड़ाव कहां से चालू होगा वो चालू होगा 10थ क्लास से अभी वो बच्चा आया है मात्र 10वीं क्लास में उसकी उम्र है मात्र 15 साल लेकिन उसको अपने बाकी सभी यार दोस्तों की तुलना में ज्यादा मेहनत करनी है क्योंकि 10थ में अगर अच्छी परसेंटेज आएगी तभी जाके उसको साइंस बायो मिलेगी कम परसेंटेज पे तो साइंस ही नहीं मिलेगा एक साल की कड़ी मेहनत के बाद ये पहला पड़ाव.

पार होता है अच्छे परसेंटेज आई अब 11थ क्लास में वो ले पाएगा साइंस एन बायो साइंस बा में एडमिशन होने के साथ-साथ ही वो नीट जो कि मेडिकल का एंट्रेंस एग्जाम है उसकी तैयारी 11थ क्लास के साथ ही चालू कर देता है अब यहां पे आते हैं दो ऑप्शन मान लो किसी बहुत बढ़िया अच्छे शानदार ब्रांडेड स्कूल में पढ़ रहा है तो स्कूल अपनी पढ़ाई के साथ समझौता नहीं करता तो.

उसे स्कूल की पढ़ाई भी करनी पड़ती है और शाम को नीट की तैयारी में लगना पड़ता है अच्छा कई बच्चे कहते हैं इसे तो नीट की तैयारी में दिक्कत आएगी तो वो कुछ डमी स्कूल में एडमिशन ले लेते हैं जहां 11थ 12थ में सिर्फ नाम की होती है ज नाम की अटेंडेंस लग जाती है सिर्फ एग्जाम देने जाना होता है और बच्चा पूरे फोकस के साथ सिर्फ नीट की तैयारी कर करता है और भाई.

साहब कई ऐसे-ऐसे महान इंस्टीट्यूट हैं जो 11 तो छोड़ो सिक्स्थ क्लास से बच्चों को कहते हैं भैया तुम तो अभी से नीट की तैयारी चालू कर दो अगर दो-चार ऐसे महान इंस्टीट्यूट को जानते हो तो कमेंट बॉक्स में बताना कि जहां पे सिक्स्थ क्लास नेट की तैयारी चालू हो जाती है तो भाई साहब गौर से देखा जाए तो बच्चा इस समय कर रहा है डबल पढ़ाई 11 12थ की तैयारी भी उसको.

करनी है उसके एग्जाम भी देने हैं और नीट की प्रिपरेशन भी चल रही है और ये सब करने के बाद वो 12थ क्लियर करता है अब एलिजिबल होता है नीट के एग्जाम में बैठने के लिए अब उसकी उम्र हो गई 18 साल हल्की-हल्की मछे आने लग गई है अब तक नीट की कोचिंग में पिछले दो-तीन साल में स्कूलर सबकी फीस बुक्स नोट्स मिला के वो 3-4 लाख फूक चुका है और अब भाई साहब वो देगा नीट का पेपर अब.

नीट के पेपर की कैलकुलेशन को समझते हैं पिछले साल भारत में नीट दिया 23 लाख बच्चों ने और सीट्स है मात्र 110000 के आसपास यानी 5 पर बच्चे ही है जो नीट क्लियर कर पाएंगे 95 पर को तो दोबारा देना है साहब अब ये जो 110000 के आसपास सीटें हैं इसमें कुछ सीटें हैं सरकारी और कुछ सीटें हैं प्राइवेट अगर उस बच्चे की रैंक बहुत अच्छी आई तो उसको मिल जाएगा.

गवर्नमेंट कॉलेज यानी उसका जीवन सफल क्योंकि वहां पे फीस होती है 40 5 हज के लगभग तो 4 साल साढ़े साल के कोर्स में उसके दोढा लाख र लगेंगे और वो बन जाएगा एमबीबीएस लेकिन भाई साहब अगर रैंक नीचे आई टॉप में नहीं आ पाया तो उसको लेना पड़ेगा प्राइवेट कॉलेज और प्राइवेट कॉलेज की फीस होती है भाई साहब 20 लाख से लेकर 30 लाख के बीच में कुछ भी और ये होती है ईयरली.

यानी चार साढ़े साल के कोर्स में 1 करोड़ से लेकर डेढ़ करोड़ तक तो लगने ही लगने हैं तो या तो बहुत इंटेलिजेंट हो तो सरकारी सीट उठाओ और नहीं तो बहुत पैसे वाले हो तो प्राइवेट सीट उठाओ अब आप बोले सर हम तो दोनों ही नहीं है हमारा ना तो नीट निकल रहा और जब प्राइवेट की सीट के पैसे नहीं है तो मैं क्या करूं डॉक्टर तो बनना ही है सपना है बचपन का ऐसे कैसे छोड़.

दें तो फिर उनको जाना पड़ता है इंडिया छोड़ के कोई जाता है चाइना कोई जाता है नेपाल कोई जाता है किर्गिस्तान तजाकिस्तान वहां फीस लगती है इन प्राइवेट कॉलेज की तुलना में कम लगभग 40 से 50 लाख में काम हो जाता है और मात्र 20-21 साल की छोटी सी नाजुक सी उम्र में वो 5 साल विदेश चला जाता है घर वालों से दूर सिर्फ एक सपने के पीछे ऑन एन एवरेज नीट क्लियर करने में.

बच्चों को तीन अटेंप्ट तो लगते ही लगते हैं कोई एक अटेंप्ट में निकालता है किसी के पांच टाइम भी लगता है ये अटेंप्ट क्लियर करने के बाद उसकी डॉक्टर की जर्नी चालू होती है तो आप इमेजिन कीजिए कि वो 15 साल की उम्र से 10थ में फोकस था कि मुझे डॉक्टर बनना है और अब वो 5 साल हो गए हैं उसको और 20 साल की उम्र हो गई है अब जाके वो एमबीबीएस में एंट्री लेगा लेकिन ये 5.

साल उसके कैसे जाते हैं आप इसको इमेजिन नहीं कर सकते ये जो पीरियड होता है जब बच्चा कॉलेज में आता है जब थोड़ा समझदार होता है जब वो जीवन जीना चालू करता है ये अपने कमरों में बंद होते हैं इनका जिंदगी है सुबह उठो भाई साहब स्कूल भागो फिर स्कूल में टॉप करना है फिर स्कूल का होमवर्क करना है फिर नीट की कोचिंग करनी है फिर कोचिंग का होमवर्क करना है फिर.

क्लास टेस्ट देने हैं यार दोस्त मस्ती परिवार घूमना फिरना पिक्चर डिनर सब त्याग देते हैं ये लोग इनका काम सिर्फ ये है भाई साहब घर से स्कूल स्कूल से कोचिंग कोचिंग से घर लाइफ का सिर्फ एक ही गोल अरे एमबीबीएस में जैसे तै से सिलेक्शन हो जाए और जब तक ये सिलेक्शन का कांटा नहीं क्लियर होता जब तक सिलेक्शन नहीं होता तब तक इनकी एंजाइटी बनी रहती है तब तक टेंशन.

बनी रहती है आप देखेंगे ये जो मेडिकल की तैयारी करने वाले मैक्सिमम लोग कटे कटे से गुमसुम से चुपचाप से नजर आते हैं बस इनका एक एक स्किल होता है पढ़ाई पढ़ाई पढ़ाई बाकी दुनियादारी का लेना देना ही नहीं है दुनियादारी का तो इन्होंने स्वाद अभी तक चखा ही नहीं है तो ऐसी स्थिति में जिनका एमबीबीएस क्लियर हो जाता है चलो उनको तो फिर भी थोड़ी खुशी की लहर दौड़ती है पर.

जिनका नीट क्लियर नहीं होता कई बार टेंशन में चले जाते हैं डिप्रेशन में चले जाते हैं और गलत कदम भी उठा लेते हैं 23 लाख बच्चों में से 1 लाख समथिंग सिलेक्ट होंगे तो 22 लाख की जर्नी तो यहीं समाप्त होती है जो 1 लाख है जो एमबीबीएस में सिलेक्ट हो गए इनकी एमबीबीएस की जर्नी इनका स्ट्रगल अब चालू होता है ये डॉक्टर बनने की दिशा में पहला कदम आज रखा है अब तक तो.

बस तैयारी हो रही थी अब ये टोटल पढ़ाई चलती है 42 साल इसके बाद होती है 1 साल की इंटर्नशिप उसके बाद ये कहलाते हैं एमबीबीएस डॉक्टर अब अगर इनकी उम्र देखें तो इनकी उम्र हो गई है 25526 साल अभी तक मेडिकल की तैयारी में इनके टोटल लग चुके हैं जीवन के 105 साल साइंस लेने से लेकर डॉक्टर बनने तक इनको 101 साल ऑलरेडी लग चुके हैं अगर बात करें पैसे की या फीस की.

तो सरकारी कॉलेज था तो चलो कोई बात नहीं तैयारी और ये सब मिलाके 45 लाख में काम हो गया लेकिन अगर प्राइवेट कॉलेज था तब तक एक डेढ करोड़ रुए भी ये लगा चुके हैं और बाहर जो गए हैं उनके भी 40 50 लाख तो लगे ही हैं लेकिन कोई बात नहीं साहब लगा दिए 10 साल कर लिया स्ट्रगल लगा दिए पैसे अब तो खूब कमाएंगे खूब कमाएंगे कैसे कमाओगे तीन ऑप्शन है डॉक्टर के पास कि भैया अब तुम.

कुछ कर लो पहला ऑप्शन है भैया खुद की प्रैक्टिस चालू करो क्लिनिक खोलो बैठ जाओ तो अगर आप इंडिया में चाहे गवर्नमेंट या प्राइवेट किसी से भी निकले हैं आप अपनी प्रैक्टिस खोल सकते हैं लेकिन पहले दिन आपके पास कोई आएगा ही नहीं क्योंकि यंग डॉक्टर के पास कौन आता है साहब अनुभवी के पास आते हैं आप खुद देख लीजिए अगर कोई नया डॉक्टर आज क्लीनिक खोलेगा उसके पास जाएंगे.

या किसी एक्सपीरियंस के पास जाए जाएंगे और जो व्यक्ति बाहर गया था पढ़ने उसको तो ये क्लीनिक भी नहीं खुल पाएगा उसे इंडिया में पहले एक एग्जाम पास करना पड़ेगा उसके बाद ये क्लीनिक खुल पाएगा तो प्रैक्टिस का ऑप्शन तो अभी छोड़ ही दो दूसरा काम है कि भैया एक काम करो गवर्नमेंट जॉब लग जाते हैं मेडिकल ऑफिसर बन जाते हैं लेकिन उसके लिए फिर एक एग्जाम क्लियर करना पड़ेगा जो.

लोकल बंदा है इंडिया वाला उसको एक करना पड़ेगा और जो बाहर से आया है उसको दो क्लियर करने पड़ेंगे अच्छा बाहर वाले के दो एग्जाम और यहां वाला एक एग्जाम देके भी क्या नौकरी मिलेगी गवर्नमेंट में 70 से 80000 की और पोस्टिंग कहां मिलेगी रिमोट एरिया में गांव में क्या सुविधाए हैं छोटे-छोटे क्लिनिक बने हुए हैं छत से पानी बह रहा है दीवार में सीलन लगी हुई है टूटी.

हुई टेबल है जिस बंदे ने 10 साल मेहनत की है लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए हैं जो कह रहा है कि कोई बात नहीं इतना स्ट्रगल कर लिया अब तो मैं मजे करूं उसको क्या मिल रहा है ये लाइफस्टाइल इसके लिए किए थे उसने करोड़ों खर्च इसके लिए की थी इतनी मेहनत और खाते में आते 550 6 हज पर उसको तो खर्च भी नहीं कर पाएगा वो वो 10 साल से घर परिवार से ऑलरेडी दूर था कि तपस्या कर.

रहा हूं बाद में सफल होऊंगा वो सफल होके भी दूर ही है अगर आप इसको इमेजिन करना चाहते हैं तो भाई साहब पंचायत सीरीज में फुलेरा गांव में सची जी की हालत देख लो तो भाई साहब प्रैक्टिस अभी जमेगी नहीं गवर्नमेंट जॉब के लिए भी एग्जाम लगेगा उसका भी स्ट्रगल है और वहां क्या हालत है आपने देख ली बोले सर कौन जाएगा गांव में हम तो प्राइवेट जॉब ही कर लेते हैं शहर के.

बीचोबीच प्राइवेट अस्पताल में आज की रेट में जॉब मिलना बहुत मुश्किल और मिलती है तो मिलती है 50600 हज की नौकरी बोले बस राहुल जी इतनी सी सैलरी ऐसे कैसे हो सकता है इतनी मेहनत करके इतनी सैलरी क्यों दे रहे हैं यहां तो अच्छा मिलना चाहिए नहीं मिलता इसकी मैथ को समझना देखो अगर आप गवर्नमेंट कॉलेज से हैं तो आपके शायद इतना फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आपके पैसे ही 3-4.

लाख लगे हैं डॉक्टर बनने में आपको जो भी 50000 की सैलरी मिलती है ठीक है लेकिन अगर आप प्राइवेट कॉलेज में 1 करोड़ लगा के आए हो आप देश के बाहर जाके 5 साल रह के 50 लाख लगा के आए हो और आपकी 10 साल की मेहनत इतना स्ट्रगल इतने पैसे के इन्वेस्टमेंट के बाद कोई हाथ में पकड़ा है 50 60000 कैसा लगेगा आपको और ये रिसर्च के दौरान जब मैं बाकी डॉक्टर से पूछ रहा था मुझे एक.

जगह 35000 में भी एक एमबीबीएस काम करता मिला अगर आपने ₹ करोड़ बाजार रेट पे % पे ब्याज पे लगा दिए होते ना तो लाख महीने का तो ब्याज आता और ₹ करोड़ आपके खाते में सूखा पड़ा ता वो अलग और 10 साल की मेहनत बचती वो अलग ये तो रकम का ब्याज ही नहीं आ रहा साहब क्यों कर रहे हैं डॉक्टरी अगर इस कैलकुलेशन से देखा जाए तो डॉक्टर सबसे ज्यादा मेहनत वाला प्रोफेशन है सबसे.

ज्यादा जिम्मेदारी वाला प्रोफेशन है सबसे ज्यादा पैसे लगाने वाला प्रोफेशन है सबसे ज्यादा लंबा चलने वाला प्रोफेशन है और सबसे कम पैसे देने वाला प्रोफेशन है और इस वीडियो की जो कंप्लीट स्क्रिप्ट है डाटा है स्टोरी है मैंने बड़े-बड़े सीनियर डॉक्टर से वेरीफाई करवाई है तो ये डेटा जब सामने आया ना मैं पूरा हिल गया था और तब मुझे इंस्पिरेशन मिली थी ये वीडियो बनाने.

की अब समझाता हूं ये सीन आखिर हो क्यों रहा है लेकिन उससे पहले एक जरूरी अनाउंसमेंट अगर आप एक व्यापारी हो और ये वीडियो सिर्फ जनरल नॉलेज के लिए देख रहे हो आपसे एक अपील है कि इस वीडियो में आगे बढ़ने से पहले एक मिनट अपने बिजनेस के बारे में जरूर सोचे क्योंकि जैसा डॉक्टर्स में हो रहा है वैसा ही व्यापार में भी हो रहा है जो टॉप 10 पर सीईओ कॉर्पोरेट लेवल.

के लोग हैं वही पैसा कमा रहे हैं और वही जिंदगी के मजे ले रहे हैं 90 पर आम व्यापारी के साथ तो स्ट्रगल चल ही रहा है कभी एंप्लॉई का है कभी सेल का है कभी फाइनेंस का है और ये तीनों चीजें मैनेज होते हैं तो वो जिंदगी जीने का समय नहीं निकाल पाता तो ऐसे सभी 9 % व्यापारियों को उनकी गलती बताने के लिए कि भाई साहब तुम क्या-क्या गलती कर रहे हो और जो टॉप 10 पर.

सीओ बैठे हैं इनके सीक्रेट बताने के लिए मैं एक फ्री मास्टर क्लास ऑर्गेनाइज कर रहा हूं व्यापारी टू सीओ आरंभ इसका नाम आरंभ क्यों है क्योंकि इसमें आप अपनी गलती जानेंगे सीओ के सीक्रेट जानेंगे और व्यापारी से सीईओ बनने की जर्नी का आरंभ करेंगे ये फ्री मास्टर क्लास का ऑफर सिर्फ लिमिटेड टाइम के लिए है तो भाई साहब रजिस्टर्ड कर लीजिए तुरंत लिंक आपको.

डिस्क्रिप्शन और पिन कमेंट में मिल जाएगा और अगर आप ये वीडियो रिलीज होने के कुछ महीनों या कुछ साल बाद अगर देख रहे हैं तो एक बार लिंक क्लिक करके चेक कर लीजिए क्या पता अभी भी एक्टिव हो और अगर नहीं भी एक्टिव हुआ तो आपको नोटिफिकेशन जब भी होगा मिल जाएगा तो रजिस्टर्ड करें अभी और करें अपनी जर्नी का आरंभ अब आते हैं मेन वीडियो पे कि डॉक्टर्स को इतने कम पैसे क्यों मिल.

रहे हैं सीधा आंसर है इकोनॉमिक्स ये पूरा गेम है डिमांड और सप्लाई का इस समय भारत में रजिस्टर्ड डॉक्टर है 136000 और हर साल 110000 से ज्यादा डॉक्टर बनते जा रहे हैं जो लोग बाहर से पढ़ के आते हैं वो इस 110000 में इंक्लूड नहीं है वो इंडिया आते हैं एक एग्जाम क्लियर करते हैं फिर उनको उनमें गिना जाता है तो पिछले साल लगभग 20000 व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने ये.

एग्जाम क्लियर किया और वो भी इसमें काउंट हो गए इसके अलावा आयुष डॉक्टर्स हैं आयुर्वेदिक वाले 5 लाख से ज्यादा अब गांव में कोई जाना नहीं चाहता किसी को फुलेरा का सचिव बनना ही नहीं है सब चाहते हैं मेन शहर में जॉब मिल जाए मेन सिटी में जॉब मिल जाए सुविधाओं के बीच में जॉब मिल जाए लेकिन मेन सिटी में तो हॉस्पिटल लिमिटेड है सब तो हॉस्पिटल लिमिटेड तो वैकेंसी भी.

लिमिटेड पुराने जो डॉक्टर्स हैं वो रिटायर होते नहीं है ये वो प्रोफेशन तो है नहीं कि 60 के बाद डॉक्टर साहब रिटायर हो गए नया आदमी आ गया ये तो जब जब तक डॉक्टर साहब हैं तब तक हैं तो पुराने रिटायर नहीं हो रहे और नए जुड़ते जा रहे हैं तो ये आबादी तो बढ़ती जा रही है तो हॉस्पिटल के पास लिमिटेड सीट है और अप्लाई करने वाले इतने ज्यादा तो हॉस्पिटल कहता है भैया.

इतने पैसे देंगे आना हो तो आओ नहीं तो मत आओ और उस समय जब इतने लोग को जॉब करनी है ऑप्शन है नहीं कहते भैया जो दोगे उसी में कर लेंगे आप इस बात को ऐसे समझिए जैसे एक इंजीनियर का स्टार्टिंग पैकेज आज के 10 साल पहले भी 3-4 लाख था आज 10 साल में इतनी महंगाई बढ़ गई इतना सब कुछ आगे हो गया तो भी इनका स्टार्टिंग पैकेज 3-4 लाख की है क्यों क्योंकि जितनी सीट बढ़ती है.

इंजीनियर्स की उससे कई गुना इंजीनियर्स आ जाते हैं बाजार में तो कंपनिया पैकेज ही नहीं बढ़ा रही तो ऐसा ही हुआ इंजीनियर में ऐसा ही हुआ एमबीए में और अब ऐसा ही होने लग गया है डॉक्टर में पिछले -4 साल में यह हालत बहुत ज्यादा खराब हुई है और आने वाले टाइम के हालात देख के तो आप कांप जाओगे कैसे डाटा से बताता हूं इंडिया में 2013-14 में थे मात्र 386 मेडिकल कॉलेज आज.

इंडिया में 766 मेडिकल कॉलेज यानी लगभग डबल हो गए साब सीट्स जो 1314 में थी 5134 आज की रेट में सीट है 110000 से ज्यादा यानी ये 100% बढ़ गई और ये हो गई डबल से भी ज्यादा तो इसका मतलब आप देख रहे हो कि डॉक्टर्स की संख्या बढ़ती जा रही है डिमांड तो लगभग धीमी गति से बढ़ रही है सप्लाई तेजी से बढ़ रही है इसलिए इनके एवरेज पैकेज कम हो रहे हैं और आगे और.

होंगे क्यों और सुनो ऑलरेडी रजिस्टर्ड डॉक्टर है 1386 हज जैसा हमने बात की भाई साहब ये रिटायर नहीं होते गवर्नमेंट से रिटायर होंगे तो प्राइवेट में लग जाएंगे प्राइवेट से रिटायर होंगे तो क्लीनिक पे लग जाएंगे ये जब तक है तब तक प्रैक्टिस इनकी चलती है भारत में रजिस्टर्ड डॉक्टर है 1386 ज राउंड फिगर में आप पकड़ लो 14 लाख भारत की जनसंख्या 140 करोड़ यानी 1000.

पे एक डॉक्टर है डब्ल्यू एओ कहता है 1000 पे एक डॉक्टर होना चाहिए हम उस पे हैं ब बहुत बढ़िया बधाई हो आपको जीत गए आप लेकिन जब इस डाटा को बांटेंगे शहरी और ग्रामीण में आंखें खुल जाएगी आपकी अब भारत की जो जनसंख्या है भाई साहब 67 पर रहती है गांव में 33 पर रहती है शहरों में तो भाई साहब जो हॉस्पिटल के बैठ गए हिसाब किताब भी ऐसा होना चाहिए था सुविधाओं का भी ऐसा होना.

चाहिए था पर ऐसा है नहीं जहां 67 पर पॉपुलेशन को सर्व करने के लिए देश के पास जितने बेड हैं उसके पास सिर्फ 30 पर ही गांव में है और मेडिकल सुविधाओं का 50 पर यहीं लगा रखा है और शहरों में हालत क्या हो जाती है 33 पर लोग रहते हैं और यहां पे बेड कितने हैं 70 पर सुविधा कितनी है 50 पर गांव के मैं आपको कुछ डाटा बताता हूं कि गांव में किस तरह की कमी महसूस हो रही.

है गांव में स्पेशलिस्ट की 80 पर तक शॉर्टेज है 83 पर शॉर्टेज है सर्जन की 74 पर शॉर्टेज है गायनो की 81 पर शॉर्टेज है फिजिशियन की 31 पर ऐसी बिल्डिंग्स है जो कि किराए में चल रही है या टूटी-फूटी है या किसी कम्युनिटी सेंटर में चला रखी है प्रॉपर इंफ्रा प्रॉपर स्ट्रक्चर है ही नहीं अब गांव में पॉपुलेशन तो है पर यहां डॉक्टर आना नहीं चाहता तो जो ओवरऑल रेशो.

1000 पे एक डॉक्टर है गांव में रेशो हो जाता है 11000 लोगों पे एक डॉक्टर तो अब आप ऐसा मान के चलो कि 14 लाख डॉक्टर में से 4 लाख डॉक्टर ही पहुंचे गांव में 10 लाख डॉक्टर बोले हम तो शहर में ही रहेंगे पर शहर की पॉपुलेशन क्या है 40 करोड़ यानी यहां पे एवरेज आता है हर 400 आदमियों पे एक डॉक्टर हो गया ना कंपटीशन अब बोल र जी इसमें गवर्नमेंट की क्या गलती है.

गवर्नमेंट ने सुविधा नहीं दे रखी देखो सर गवर्नमेंट अपनी बढ़िया काम कर रही है गवर्नमेंट ने चिरंजीवी स्कीम लॉन्च कर दी फ्री दवाइयां चालू कर दी मेडिकल कॉलेज बना दिए मेडिकल सीट बढ़ा दी सब कुछ कर दिया गवर्नमेंट ऐसे देख रही है अच्छा इतनी पॉपुलेशन है इतने डॉक्टर चाहिए बनाओ डॉक्टर बनाओ डॉक्टर और बनाओ डॉक्टर पर जो गवर्नमेंट डॉक्टर बनाती है वो बनाती है.

पूरे देश को देख के पर वो सारे डॉक्टर गांव को छोड़ के शहर में भाग जाते हैं तो क्या हो रहा है कि गवर्नमेंट चाहती है कि ये डॉक्टर बने और गांव में जाए वो जा नहीं रहे वो शहर में जा रहे हैं तो शहर में बढ़ रही है सप्लाई अब डॉक्टर से पूछो आप गांव क्यों नहीं जाते बोले सुविधा दो तो चले जाएंगे तुम सुविधा ही नहीं दे रहे तो शहरों में समय के साथ-साथ जैसे-जैसे.

सप्लाई बढ़ेगी एवरेज सैलरी नीचे ही जाएगी कई लोग सोचते हैं अरे अभी शुरुआत है कम सैलरी है धीरे-धीरे बढ़ जाएगी धीरे-धीरे नहीं बढ़ेगी अगर आज की डेट में कोई एमबीबीएस 0000 जॉइन किया और धीरे-धीरे उसकी सल्री 50 से 60 70 0 जाएगी तब तक तो 40000 में काम करने वाले रेडी हैं तो हॉस्पिटल सोचेगा र इसको हटा के इसकी जगह दो रख लेते हैं एक और कारण है कि डॉक्टर.

को तनखा कम मिल रही है इसके पीछे भी गवर्नमेंट का रोल है तो गवर्नमेंट ने कर दी फ्री इलाज की व्यवस्था कोई चिरंजीवी स्कीम है अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग स्कीम है अब बंदा जा रहा है सरकारी अस्पताल में प्राइवेट अस्पताल में बंदा ही नहीं आ रहा अब प्राइवेट हॉस्पिटल ग मरीज ही नहीं आएंगे तो डॉक्टर को कैसे देंगे तो जो एक हॉस्पिटल पहले सोचता था कि यार मैं.

ना 500 डॉक्टर को नौकरी दे दूंगा अब वो अस्पताल कह रहा है 300 को दे दूं वही बहुत है और उनकी भी तनख्वाह कम कर रहा है तो ये वैकेंसी यां यहां भी घट रही है तो राहुल जी मतलब जॉब में तो पशन है जॉब में तो फ्यूचर ही नहीं दिख रहा एक काम करें खुद की प्रैक्टिस खोल ले हां खोल लो कहां खोलोगे गांव में नहीं ना खोलोगे तो शहर में ही तो शहर में तो है ही कंपटीशन सरकार.

के बड़े अस्पताल शहर में प्राइवेट बड़े अस्पताल शहर में बड़े-बड़े जो टॉप फील्ड के नाम है जिनके पीछे लाइनें लगती है महीनों के अपॉइंटमेंट दे वो कहां पे है शहर में तो भैया आपके पास कौन आ रहा है आपके पास तब कोई आएगा जब आप किसी बड़े अस्पताल में हो ऑलरेडी वहां पे 10 122 साल काम करते हो गए थोड़ा-थोड़ा आपका नाम बनने लग गया यानी जब आपकी पूरी जवानी निकल के.

बुढ़ापे की शुरुआत होती है बाल सफेद आने लग जाते हैं तब जाके आपका नाम होता है तब जाके थोड़ी बहुत कमाई चालू होती है ये आज की स्टेटस थी 15 साल बाद इनका भी क्या होगा पता नहीं है अब आप लोग कहते हैं सिंपल एमबीबीएस है ना इसलिए दिक्कत आ रही है अगर स्पेशलाइज हो जाएगा फिर दिक्कत नहीं आएगी आओ उसकी बात करते हैं स्पेशलाइजेशन को मास्टर्स को पीजी कहते.

हैं नीट पीजी इसकी भी सीट पूरे इंडिया में मात्र 72000 है तो 1 साल में 72000 ही पीजी बन सकते हैं अब इसकी तैयारी में एक साल और लगेगा और इसमें सिलेक्ट हो गए तो 3 साल की पढ़ाई और लगेगी और अगेन वही गेम है अगर गवर्नमेंट कॉलेज में सिलेक्ट हो गए 2 5 लाख की फीस में काम हो गया लेकिन अगर यहां पे प्राइवेट में हुए तो 3 साल की फीस 1 करोड़ से डेढ़ करोड़ के बीच में कुछ भी.

लग सकती है तो अगर जिसने पीजी कर लिया है 105 साल वो पहले लगा चुका था अब 1 साल तैयारी और 3 साल पीजी 145 साल लग गए उसके पीजी वाले के और जो उसके एक डेढ़ करोड़ पहले लगे थे वो एक डेढ़ करोड़ पीजी की और जोड़ लो ढाई से ₹ करोड़ लगा चुका है वो ढाई से ₹ करोड़ लगा दिए 145 साल लगा दिए अब तो इसकी तनखा हो जानी चाहिए हां तो इसकी तनखा 50 600 से बढ़ के अब हो जाएगी.

एक ₹ लाख क्योंकि जो कैलकुलेशन है एमबीबीएस में लगी है वो यहां भी लगेगी भाई साहब अब बोले सर जी इसमें भी कंपटीशन है इससे ऊपर भी चले हां तो इससे ऊपर भी एक लेवल होता है वहां पे एक साल और तैयारी के और 3 साल और पढ़ाई के तो एक काम करो 4 साल और लगा दो फिर हो जाएगी पढ़ाई 18 साल की तो भाई साहब इतनी रिसर्च करने की तो मेरे में भी हिम्मत नहीं है यहां पढ़ते-पढ़ते.

मेरी सांस फूलने लग गई राहुल जी ये तो वीडियो देख के टेंशन हो गई लेकिन अगर ऐसी ही बात है तो इतने सारे लोग डॉक्टर बनने की तैयारी क्यों कर रहे हैं 30-30 लाख लोग नीट के एग्जाम क्यों दे रहे हैं इसके पीछे कई कारण है एक-एक करके सबको चर्चा करते हैं पहला कारण बड़ा यस कारण है उनको पता ही नहीं है कि इतना गेम बिगड़ चुका है ये वीडियो मैंने आपको बताई इस वीडियो के बाद.

आपको लगा अरे डॉक्टर्स की ये हालत है इस वीडियो से पहले आपको पता था कि डॉक्टर की हालत क्या है आपको तो लग रहा था ना बहुत मजे ही मजे है तो ये जो 23 लाख तैयारी कर रहे हैं इनको भी लग रहा है मजे ही मजे है ये तो बनेंगे तब पता पड़ेगा कि शिट गलती हो गई पता क्यों नहीं है पहली बात जो डॉक्टर ऑलरेडी बन गया जो स्ट्रगल से फेस कर रहा है वो अपने मुंह से बताता नहीं है.

कि यार इतना खर्चा करके इतनी मेहनत लग के भाई साहब मेरा तो कुछ हुआ ही नहीं अपने मुंह से कौन बोलेगा साहब कि यार मेरे से गलती हो गई तो वो अपने मुंह से बताता नहीं है कि भाई मत कर करना अगर बाई चांस वो अपने मुंह से बता दे अपने किसी यार दोस्त भाई बंधू अड़ोस पड़ोस में कह दे कि अजी भाई साहब डॉक्टर में वो बात नहीं है तो मत करना तो उसके घर वाले क्या बोलेंगे अरे.

खुद तो बन गया डॉक्टर खुद तो नोट छाप रहा है ये नहीं चाहता कि हमारा छोरा बने अब तो डबल बनाएंगे अब तो जरूर बनाएंगे तो बेचारा क्या करें जैसे मैं भी अगर आपको बोलूं कि भाई साहब youtube1 में अब नहीं है ना तो एडसेंस का पैसा ना ब्रांड का पैसा मत आओ चैनल बना लो एक और कारण यह है कि डॉक्टर बनना एक तरह से बच्चे का सपना नहीं है.

पेरेंट्स का सपना है पेरेंट्स ने अपने जमाने में देखा कि डॉक्टर साहब कितने पैसे कमाते हैं हर पेरेंट्स के पास दो-तीन डॉक्टर की कैलकुलेशन है कि जी फलाने को देखो ढम के को देखो कितने कमाता है तो पेरेंट्स को लगता है कि यार मेरा बच्चा भी डॉक्टर बन जाएगा वो भी इतने पैसे कमाए मेरा बच्चा सेटल हो जाएगा इस सपने के पीछे वो अपने बच्चे के पीछे पड़ रहे है कि तू.

डॉक्टर बन बन बन पर हकीकत क्या है उनको पता ही नहीं वो दो डॉक्टर का एग्जांपल ले रहे हैं वो 2000 या 2 लाख डॉक्टर के साथ क्या हो रहा है उनको पता ही नहीं है तो राहुल भाई मतलब जो डॉक्टर बन गए वो तो बन गए उनके साथ जो होगा वो तो देखा जाएगा लेकिन जो अब डॉक्टर बनने की सोच रहे हैं जो 10थ में साइंस बायो लेने की सोच रहे हैं नीट की तैयारी कर रहे हैं वो क्या.

करें डॉक्टरी करनी है कि नहीं करनी है मैं आपको उसकी भी क्लियर क्लियर गाइडलाइन दे देता हूं किसको डॉक्टर बनना चाहिए जरूर बनना चाहिए पहला अगर आप सुपर इंटेलिजेंट हो आप बोल रहे हो सर मैं ना लगा रहा 3 साल नीट में पहली बार में निकाल लूंगा और मेरी आएगी मोटी रैंकर मैं जाऊंगा सीधा गवर्नमेंट कॉलेज में तो भाई साहब फिर तो आप मस्ती से डॉक्टरी करो आपका दोती लाख.

में डॉक्टर बन जाएगा आप टैलेंट हो तो आपको अच्छी नौकरी अच्छी चीज मिलेगी यू आर द क्रीम ऑफ द सोसाइटी आपको डॉक्टर बनना चाहिए मां-बाप का नाम रोशन करना चाहिए दूसरा आप कह रहे हो सर इंटेलिजेंट तो नहीं है लेकिन पैसे बहुत हैं अगर आपके पास पैसे बहुत हैं आप क रल जीी नीट में तीन अटम के चार भी लग जाए क्या फर्क पड़ता है एक की करोड़ की जगह दो करोड़ भी देना पड़ेगा.

क्या फर्क पड़ता है हम तो नाम के आगे डॉक्टर लगा के रहेंगे तो भाई साहब आप भी डॉक्टर बनो कौन रोक रहा है तीसरा अगर आप नेपोटिज्म के लाभार्थी हो मतलब आपके पिताजी ऑलरेडी डॉक्टर हैं आपके घर में ही हॉस्पिटाल है मरीजों की लाइन लगी रहती है सेट प्रैक्टिस है पिताजी ने कर ली आपको बस संभालने है तो भैया आप भी डॉक्टर बन जाओ क्या फर्क पड़ता है चौथा आप बोले राहुल जी.

पैसे टके की बात मत करो मैं तो नोबल प्रोफेशन है मैं तो गरीबों की सेवा के लिए आया हूं मैं तो गांव जाने को भी तैयार हूं मैं तो कम पैसे में भी काम करने को तैयार हूं मेरे को पैसे की कोई टेंशन नहीं है घर परिवार के अच्छे काम दंडे हैं वो घर का खर्चा चला लेंगे मेरी वाइफ को भी कोई दिक्कत नहीं है हम तो दोनों पति-पत्नी मिलके समाज सेवा करेंगे पैसे से मतलब नहीं.

है तो भी डॉक्टर बन जाओ बट बट बट अगर आप एक एवरेज व्यक्ति हो जो जैसे तैसे एग्जाम में पास होते हो भैया आपको डॉक्टर नहीं बनना है क्योंकि आपसे नीट निकालने में तीन चार साल लगाओगे और फिर भाई साहब गवर्नमेंट तो मिलेगा नहीं फिर जाना पड़ेगा प्राइवेट में और करोड़ों के नीचे आओगे तो अगर आप एवरेज बच्चे हो तो मत करो क्योंकि ये जो 10 साल की जर्नी है ये आपकी जर्नी बढ़ के.

15 साल की हो जाएगी सेकंड अगर आप एक गरीब घर से आते हो या मिडिल क्लास घर से आते हो जहां पैसे की तंगी है आप भाई साहब इस चक्कर में मत पड़ो अगर आप फर्स्ट जनरेशन डॉक्टर हो आपके घर परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है आपके पास कोई जमी जमाई प्रैक्टिस नहीं है आप जीरो से चालू करोगे तो मत बनो आपके स्ट्रगल का फायदा हो सकता है आपका बेटा उठा ले बट आप नहीं उठा पाओगे और प्लस.

आपने कहा सर राज जी मैं डॉक्टर समाज सेवा तो है ही अपनी जगह वो होती र गई लेकिन मैं तो पैसे कमाने के लिए डॉक्टर बना था तो भी आपको डॉक्टर नहीं बनना है क्योंकि अब पैसा बचा नहीं है तो मेरी अपील सभी पेरेंट से हाथ जोड़ के है कि अगर आपका बच्चा इन चार कैटेगरी में आता है एवरेज है आप पैसे से एवरेज हैं आपका बच्चा नॉलेज से एवरेज है फर्स्ट जनरेशन काम कर रहा है और पैसे की.

इच्छा से आए हो आप प्लीज अपने बच्चों को डॉक्टरी में धके ले मत क्योंकि मैं आपको स्टेप बताता हूं अगर वो एवरेज पढ़ाई में है तो वो डॉक्टर बन ही नहीं पाएगा उससे नीट निकलेगा ही नहीं वो 4 साल लगा भी देगा पैसे भी लगा देगा डिप्रेशन में भी चला जाएगा अगर बाय चांस उसका जैसे-तैसे लेके एडमिशन हो गया और आप गरी गरीब परिवार से हो तो आपको अपनी एफडी उड़ा के जमीन बेच के.

घर बेच के या लोन लेके उसकी पढ़ाई का खर्चा उठाना पड़ेगा और बाद में जो कमाई मिलने वाली है उससे ना तो प्रॉपर्टी दोबारा बनेगी ना ये कर्जा झुकेगा हो सकता है आप लोग मुझे किसी शहर में किसी डॉक्टर या अस्पताल के एग्जांपल दे दो अरे राहुल जी आप तो बिना बा डरा रहे हो फलाना तो इतना पैसा कमा रहा है मैं उन व्यक्तियों को जो कि डॉक्टरी फील्ड से हैं चाहे वो.

मेडिकल में है चाहे डॉक्टर का कर रहे हैं डॉक्टर बन रहे हैं जो भी है आपकी स्टोरी कमेंट बॉक्स में बताइए कि ये जो मैं कह रहा हूं इस बात से आप कितना रिलेट कर पा रहे हैं क्या मैं आपको सच कह भी रहा हूं कि नहीं मेरी इस वीडियो का सिर्फ उद्देश्य ये था इंजीनियरिंग प्रोफेशन में कमाई चली गई एमबीए प्रोफेशन में कमाई चली गई ऐसा डॉक्टर्स के साथ नहीं होना चाहिए उसके लिए.

आप इसकी सप्लाई को कंट्रोल करेंगे सिर्फ वही बते जो डिजर्व करते हैं जो मेहनत करते हैं जो पैशन नेट है वही इस फील्ड में आएंगे तो इसकी गरिमा इसका पैसा सब बचा रहेगा और जो व्यक्ति सिर्फ जोश जोश में या दिखावे के चक्कर में या दबाव में इस रास्ते पे जा है वो जाने से रुक जाएगा अगर एक भी बच्चा जो कि दबाव के चक्कर में डॉक्टरी कर रहा था अगर इस वीडियो के बाद.

से रुक जाता है या एक टैलेंट इसकी तरफ मोटिवेट होता है तो मुझे लगता है कि वीडियो बनाने का पर्पस सफल हुआ आपकी कहानियां आपका रिस्पांस मुझे कमेंट बॉक्स में बताइए मैं एक-एक कमेंट पढ़ के ये जानना चाहता हूं कि भाई साहब क्या इस मेरे मैसेज आप तक पहुंचा कि नहीं पहुंचा जो व्यापारी बंधु हैं वो व्यापार डीसीओ आरम का रजिस्ट्रेशन लिंक जरूर क्लिक करें और.

भाई साहब फ्री मास्टर क्लास जरूर अटेंड करें आपको ये वीडियो पांच लोगों को शेयर करना है उनमें कम से कम एक डॉक्टर को जरूर शेयर कीजिएगा और ये वीडियो टेस्ट कराइए कि जो मैं बोल रहा हूं क्या मैं सच बोल रहा हूं मिलते हैं अगली वीडियो में तब तक के लिए धन्यवाद जय हिंद व्याप टस आरम का लिंक डिस्क्रिप्शन और कमेंट बॉक्स में रजिस्टर्ड कीजिए फ्री मास्टर क्लास का.

फायदा उठाइए जय हिंद [संगीत]

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