वरुण बेवरेजेस वरुण बेवरेजेस एक इंडियन लिस्टेड कंपनी है एंड यह कंपनी अकेले ही pepsi-cola का ओनली कपटर है पर अब वह अपने सर्वाइवल के लिए स्ट्रगल कर रहा है 1990 में pep8 पर रह गया है लेकिन जहां यूएस में pepsi-cola आज यह पपसी को का यूएस के बाहर सेकंड लार्जेस्ट ग्लोबल फ्रेंचाइजी पार्टनर बन.

चुका है और अब बॉटलिंग इंडस्ट्री में इतना बड़ा नाम बनाने के बाद वरुण बेवरेजेस अपने नेक्स्ट ग्रोथ फेज के लिए रेडी है अभी वरुण बेवरेजेस ने ₹ 500 करोड़ रेज किया है ग्रोथ के लिए pepsi-cola प का ट्रस्ट आखिर जीता कैसे ps1 वरुण बेवरेजेस की लेगासी एंड कैसे उन्होंने pepsi-cola सजीता अपने बिजनेस को अच्छे से ग्रो किया.

एंड अब फ्यूचर में वह कैसे ग्रो करने का प्लान कर रहे हैं पार्ट थ्री pepsi-cola में हेल्प कर रहा है एंड ऑनेस्टली एज एन इंडियन यह पार्ट मुझे काफी प्राइड देता है कि इंडिया की एक ऐसी कंपनी है जिस पे एक ps9 5 में स्टार्ट हुई बट इन रियलिटी इस कंपनी की नीव 1960 में ही डाल दी गई थी जब चुन्नीलाल जयपुरिया ने इंडिया में कोका कोला के बॉटलिंग राइट्स लिए जी हां.

दोस्तों वरुण बेवरेजेस की स्टोरी pepsi-cola से शुरू होती है उन दिनों कोका कोला इंडिया में बहुत पॉपुलर हो गया था pepsi-cola को कंपटीशन ना होने की वजह से कोका कोला की पॉपुलर और बढ़ती चली गई बट कहानी में वापस ट्विस्ट आया 1977 में इंडियन गवर्नमेंट ने एक हिस्टोरिक डिसीजन लिया.

फॉरेन कंपनीज को अपने स्टेक्स 60 पर से कम करने को कहा गया और कोकाकोला से तो गवर्नमेंट ने उनकी जान ही मांग ली उनका सीक्रेट कंसंट्रेट फार्मूला वही फार्मूला जो लेजेंड्स के हिसाब से जॉर्जिया बैंक के वल्ट में कहीं लॉक्ड है जिसे दुनिया में सिर्फ 10 लोग ही जानते हैं और इंडियन गवर्नमेंट चाहती थी कि कोकाकोला व अपने जो भी फार्मूला हैं इंडि शेयर होल्डर्स को दे.

दे तो एकदम प्राण जाए पर सीक्रेट ना जाए स्टाइल में कोका कोला ने इंडिया भी छोड़ दिया और देखते ही देखते कोका कोला के 22 इंडियन बॉटलर्स बिजनेस से बाहर हो गए और इन बॉटलर्स में एक थे चुन्नीलाल जयपुरिया सोचो उनको कितना बड़ा शॉक लगा होगा सारे इन्वेस्टमेंट सारे प्लांस एकदम से खत्म लेकिन उनके पास जो बॉटलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर था उसका कुछ तो करना.

पड़ता चुन्नीलाल जयपुरिया को अपना आंसर थम्स अप में मिला कोके इंडिया के एग्जिट के बाद थम्स अप को एक बड़ी अपॉर्चुनिटी खुलती हुई दिखी पार्ले के रमेश चौहान ने एक कोला बनाया जो इंडिया के लिए परफेक्ट था चौहान को पता था कि इंडिया में फ्रीक्वेंसी ये उन्होंने थम्स अप जैसा ब्रांड बनाया जिसका डिजाइन उन्होंने ऐसा किया कि वह.

बिना रेफ्रिजरेशन के भी लंबे समय तक फिजी रह सकता है तो अब चुन्नीलाल जयपुरिया और उनके तीन बेटे थम्स अप के तीन बॉटलिंग यूनिट्स हैंडल करने लगे हर एक भाई को एक बॉटलिंग यूनिट मिला चंद्रकांत जयपुरी को दिल्ली का प्लान मिला सूर्यकांत जयपुरिया को नागपुर का और रविकांत जयपुरिया को आगरा का यह वही दौर था जब इंडियन पॉलिसीज अनप्रिडिक्टेबल टर्न्स ले रही थी तो 1980.

में pepsi-cola करने के लिए एक बहुत अच्छा ऑफर था लेकिन पर्ले के रमेश चौहान को यह प्लान बिल्कुल पसंद नहीं आया इफ द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया क्लियर्स दिस प्रोजेक्ट आई विल बी कन्विंस्ड दैट रूल्स डू नॉट अप्लाई दैट दे कैन बी बेंट टू सूट इंडिविजुअल पीपल लेकिन pepsi-cola दिए बॉटलर्स को अट्रैक्ट करने के लिए.

उन्होंने इंटरेस्ट फ्री लोंस भी ऑफर किए pepsi-cola पेप्स को के साथ डील साइन कर ली एंड यह उनकी कोई जल्दबाजी में ली हुई डिसीजन नहीं थी जयपुरिया ब्रदर्स ने केयरफुली सोचा कि थम्स अप के साथ उनका रोल कितना लिमिटेड है व तीन फैक्ट्रीज के आगे ही नहीं बढ़ पा रहे हैं पर pepsi-cola के पास 9 पर मार्केट है और pep8 पर.

मार्केट है इंडिया में वहीं थम्स अप के पास 16 पर मार्केट शेयर है पर याद रखना पास्ट में देख के टिप्पणी देना बहुत इजी होता है लेकिन उस वक्त खड़े होकर फ्यूचर के लिए सही डिसीजन लेना बहुत मुश्किल किसी को नहीं पता था कि थम्स अप बहुत जल्द ही साइड बदल लेगा कोई नहीं एक्सपेक्ट कर रहा था कि 1991 के लिबरलाइजेशन के बाद कोका कोला भी वापस इंडिया आएगा और यह भी कि.

पर्ले थम्स अप ब्रांड कोका कोला को बेच देगा रविकांत जयपुरिया के वर्ड्स में प्रोबेबली द ओनली थिंग रमेश कुड हैव टोल्ड अस दैट कुड हैव हेल्ड अस बैक वाज दैट ही वुड इवेंचर आउट टू कोका-कोला मे बी ही डिंट थिंक ऑफ इट एट दैट टाइम वी सर्टेनली वंट एंटीसिपेटिंग इट ईदर वी हैड एनीवे मेड आवर चॉइस देयर वाज नो गोइंग बैक यू कुड ओनली बी अ पार्ट ऑफ वन कैंप वी चोज.

Pepsi-cola जयपुरिया जो वरुण बेवरेजेस के प्रमोटर हैं व इन सबसे आगे निकल गए 2015 2018 और 2019 में वर्न बेवरेजेस इतने स्पीड से ग्रो कर रहा था वो एक एक्विजिशन स्प्री पे ही चला गया स्क्रीन पे टेबल देखो दूसरे कंपनीज के पास जो भी pepsi-cola भाइयों की टेरिटरीज और pepsi-cola.

क्रेट्स पैड्स यह सारी चीजें बनाते हैं पैकेजिंग मटेरियल बनाते हैं ओवर द इयर्स pepsi-cola इस फास्ट ग्रोथ को फाइनेंस करने के लिए वरुन बेवरेजेस ने अभी रिसेंटली एक क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स के थ्रू ₹ 500 करोड़ भी रेज किया है यह उनके 2016 के आईपीओ वाले फंड रेज का लगभग सेवन टाइम्स है और इन फंड से वरुण बेवरेजेस.

अपने पास्ट लोंस जो मोस्टली कपेक्स में यूज़ हो गए उसको रिपे करने के लिए यूज़ करेगा और दूसरी कंपनीज को एक्वायर करने में भी यूज करेगा अब देखो ऐसा ग्रोथ तो pepsi-cola पहले उन्होंने किसी को भी नहीं किया जब हमने इनके कॉंकल ट्रांसक्रिप्ट्स पढ़े तो हमें और इंटरेस्टिंग चीजें मिली जैसे कि अभी रिसेंटली पेप्सिक ने वरुण बेवरेजेस के.

साथ एक एक्सक्लूसिव स्नैक फ्रेंचाइजिंग एग्रीमेंट साइन किया है अक्टूबर 2025 से वो जिंबाब्वे में सिंबा मशीज मैन्युफैक्चर डिस्ट्रीब्यूटर सेल करेंगे अप्रैल 2026 से उनका ऐसा ही सिमिलर अरेंजमेंट जांबिया में भी हुआ है और मे 2025 से व मोरक्को में चीटोज मैन्युफैक्चर और पैकेज करेंगे एंड आपको पता है यह इतनी हिस्टोरिक बात क्यों है क्योंकि यह पहली बार हुआ है जब.

Pepsi-cola हैंड ओवर करना यह दिखाता है कि कैसे वह उसकी एग्जीक्यूशन स्किल्स को इतना डीप ट्रस्ट करता है और इसमें फायदा वरुण बेवरेजेस को भी पूरा है देखो वरुण बेवरेजेस का ग्रो करने का हेडरूम हर साल कम होता जा रहा है इंडिया में उनका मार्केट पेनिट्रेशन ऑलरेडी 90 से ज्यादा है बेवरेजेस एक्सपेंशन एंड ग्रोथ के लिए.

उनके पास मोस्टली दो ही लिवर्स बचे हैं पहला की पेप्सी या कोई भी कोला का पर कैपिटा कंसंट इंडिया में बढ़े एंड दूसरा कि कोकाकोला से मार्केट शेयर लिया जाए इंडिया में हमारा कार्बोनेटेड सॉफ्ट रिंक्स का जो पर कैपिटा कंसंट है वो काफी लो है यूएसए के 120 लीटर पर एनम के अगेंस्ट हम सिर्फ 7 लीटर कंज्यूम करते हैं लेकिन शायद यूएस सही बेंचमार्क नहीं है.

क्योंकि यूएस जितने एक्सट्रीम पे है उतने एक्सट्रीम पे कोई कंट्री शायद ही कभी जाए लोग आजकल सॉफ्ट ड्रिंक्स को ऐसे भी नेगेटिव वे में देखने लगे हैं pepsi-cola है सेकंड ऑप्शन कि कोका कोला से मार्केट शेयर ले लो और इसका मतलब है कि थम्स अप को हराओबा हर एक्सपेंड करना और नए प्रोडक्ट्स के साथ एक्सपेंड करना उनका बस एग्जीक्यूशन सॉलिड होना चाहिए pepsi-cola.

कमा सकता था वो वरुण बेवरेजेस पे इतना ट्रस्ट क्यों कर रहा है व्हाट्स इन इट फॉर देम चलिए समझते हैं मैंने सबसे पहले pepsi-cola ये गिर के 30 पर रह गए हैं बाकी का हिस्सा स्नैक बिजनेस में शिफ्ट हो गया है फाइनेंशियल ईयर 14 से लेकर फाइनेंशियल ईयर 19 तक इंक्रीजिंग रेवेन्यू इस ड्रॉप को कंपनसेटर.

रहा है फाइनल आउटकम ps1 का जो 640 करोड़ का लॉस था अब वो 430 करोड़ के प्रॉफिट्स में ट्रांसफॉर्म हो गया है अब इस शिफ्ट को समझने के लिए रिवाइंड करते हैं जब थी लोकल बॉटलर्स को ग्रो करने के लिए टाइम देना जरूरी था इसलिए pepsi-cola [संगीत] स्नैक्स पे फोकस करना था एंड वरुण.

बेवरेजेस धीरे-धीरे उनका ट्रस्ट जीत ही रहा था सो ओवर द यर्स psl1 मार्च 2015 तक pepsi-cola स्नैक्स में टाई हो गए आज के दिन pepsi-cola छोड़ दिया pepsi-cola एक डीप पॉकेटेड कंपीटीटर है तो उससे फाइट करने के लिए बेवरेज में स्पेंड्स हाई रखने पड़ते हैं बट दोस्तों एड्स मे बी एन.

एक्सपेंस इन अकाउंटिंग बट ग्रेट ब्रांडिंग गोज अ लॉन्ग वे ये एक इन्वेस्टमेंट होता है ब्रांड बिल्डिंग के लिए बट अगर प्रोडक्ट अच्छा नहीं होना प्रोडक्ट का रिपीट रेट हाई नहीं हो तो कितनी ही ब्रांडिंग एंड मार्केटिंग कर लो बिजनेस फ्लॉप ही होगा शॉर्ट रन में pepsi-cola लगता है pepsi-cola देखो pepsi-cola.

लूज करना स्टार्ट कर सकता है तो अगर pepsi-cola साउथ एशिया ps5 पर कंट्रीब्यूट करते हैं बट आने वाले टाइम में pepsi-cola इंटरनेशनल एक्सपेंशन करना चाह रही है आई होप वरुण बेवरेजेस एक ऐसी केस स्टडी बने जो दुनिया को दिखा दे कि इंडियन भी एग्जीक्यूट अमेजिंगली कर सकते हैं वह भी.

इंटरनेशनल मार्केट्स में आपको क्या लगता है क्या लॉन्ग टर्म में वरुण बेवरेजेस इंटरनेशनल ग्रोथ क्रैक कर पाएगा या psl1 वीडियो में

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