इंडिया जैसे देश में जहां लोग चाय के दीवाने हैं वहां पे कॉफी का ट्रेंड सेट करने का काम सीसीडी या कैफे कॉफी डे ने करा था ये कंपनी 2019 में सिर्फ इंडिया की नहीं पर एशिया की भी लार्जेस्ट कॉफी न बन गई थी और साथ ही साथ एक प्रॉफिटेबल कंपनी थी जिसके 1752 आउटलेट्स 243 इंडियन सिटीज में ऑपरेट हो रहे थे लेकिन उसी साल इस कंपनी के फाउंडर वीजी सिद्धारता ने सुसाइड.
कर लिया था कंपनी तो अच्छी चल रही थी पर ऐसा क्या हुआ कि उनको सुसाइड जैसा बड़ा कदम उठाना पड़ा आखिरकार जिस कॉफी को उन्होंने इंडिया में इतना पॉपुलर करा वो उनकी मौत का कारण क्यों बन गई उन्होंने क्या-क्या गलतियां करी थी एज अ फाउंडर जो कि आपको नहीं करनी चाहिए और साथ ही साथ जानेंगे कि वीजी सिद्धार्था के कौन से बड़े-बड़े पॉलिटिकल कनेक्शंस थे जो कि.
उनकी और सीसीडी के विनाश का कारण बन गए तो बिना किसी देरी के शुरू करते हैं कैफे कॉफी डे की शुरुआत वीजी सिद्धार्था ने करी थी जिसका आईडिया उन्हें जब आया था तब वो एक ट्रिप पर सिंगापुर गए थे और उन्हें देखा था कि वहां पे कॉफी सिर्फ एक ड्रिंक नहीं बल्कि एक कल्चर है लोग कॉफी के आउटलेट्स प बैठ के रिलैक्स करते मीटिंग करते और फ्री के वाई-फाई का मजा उठाते और.
तभी उनके दिमाग में एक आईडिया आया कि इंडिया में भी क्या ऐसा हो सकता है और 1996 में इंडिया में आके उन्होंने बेंगलोर के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में आके इंडिया का पहला साइबर कैफे खोला आईडिया ये था कि यहां पे लोग फ्री इंटरनेट का मजा ले सकते थे और साथ ही साथ कॉफी भी एंजॉय कर सकते थे और ये आईडिया बहुत ही हिट साबित हुआ क्योंकि लोग कॉफी का भरपूर मजा उठाते थे.
रिजल्ट अच्छा था कि 2004 तक इंडिया में उन्होंने 150 कॉफी आउटलेट्स खोल दिए थे और इसका नंबर हर साल बढ़ता ही जा रहा था 2000 6 तक सीसीडी सिर्फ एक कॉफी चेन नहीं बल्कि यूथ कल्चर का एक बहुत बड़ा हिस्सा बन चुका था हर कॉलेज ग्रुप वर्क प्रोफेशनल्स का फेवरेट हैंगआउट स्पॉट कैफे कॉफी डे बन चुका था सिद्धार्था यह देखकर बहुत बड़ा सोच रहे थे कि इंडिया के बाद और क्या.
उन्होंने देखा कि अगर सीसीडी को ट्रूली ग्लोबल बनाना है तो उन्हें एक स्ट्रांग फाइनेंशियल बैकर की जरूरत होगी जो इंटरनेशनल मार्केट्स को समझता हो और इसी वजह से उन्होंने एक अमेरिकन वीसी से 160 करोड़ की फंडिंग भी उठाई एंड इसके साथ सीसीडी ग्लोबल बनता जा रहा था 2014 आते-आते सीसीडी 300 प्लस इंडियन सिटीज में 1500 प्लस आउटलेट्स ऑपरेट कर रहे थे जिससे.
इनका इंफ्रास्ट्रक्चर का कॉस्ट बहुत तेजी से बढ़ रहा था लेकिन इनके रिवेन्यूज भी साथ-साथ बढ़ रहे थे जहां ये 2013 में 2300 करोड़ का रेवेन्यू कर रहे थे अगले साल 2550 करोड़ तक पहुंच गए थे और भाई साहब 1500 करोड़ का अच्छा खासा प्रॉफिट बना रखा था जो आगे और भी तेजी से बढ़ रहा था लोग तो उन्हें कॉफी किंग तक कहने लगे थे सीसीडी अपने खर्चे कम करने के लिए एक ऐसी.
स्ट्रेटेजी फॉलो करती थी जिसे वर्टिकली इंटीग्रेटेड स्ट्रेटजी कहते थे मतलब ये खुद ही हर चीज का काम खुद करती थी जैसे अपने खुद के प्लांटेशंस रखना खुद ही कॉफी बींस उगाना खुद ही मशीनस बनाना और इनफैक्ट अपने आउटलेट्स के लिए खुद ही फर्नीचर भी लेके आना इससे बीच के मिडिलमैन का खर्चा बच जाता है और कंपनी का कंट्रोल ज्यादा होता है जो कि एक माइंड ब्लोइंग आईडिया था.
फाइनेंशियल ईयर 201819 में सीसीडी के प्रॉफिट 3569 करोड़ तक पहुंच गए थे जो कि बहुत ही अमेजिंग नंबर्स हैं ये काम तो प्रॉफिटेबल चल ही रहा था और और साथ ही साथ इनका कॉफी वेंडिंग मशीनस का काम भी बहुत अच्छा चल रहा था 2018 तक इनके 58000 वेंडिंग मशीनस इंडिया के अलग-अलग जगहों में इंस्टॉल्ड थे यहां तक तो सब ठीक ही था मतलब प्रॉफिट भी.
हो रहा है और साथ-साथ एक्सपेंशन भी पर फिर ये सुसाइड कैसे सिद्धार्थ सीसीडी को तेजी से एक्सपेंड कर रहे थे पर कॉफी बिजनेस के अलावा उनका ध्यान दूसरे वेंचर्स पर भी शिफ्ट हो गया था ईयर 2000 में उन्होंने एक फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म शुरू करी थी क्योंकि उनको शेयर मार्केट की अच्छी नॉलेज थी 2006 में टंगल डेवलपमेंट ने ग्लोबल विलेज पार्क एस जड को लॉन्च किया था और.
साथ-साथ द सराई रिजॉर्ट स्टार्ट करा साथ ही उन्होंने एक फर्नीचर कंपनी भी बनाई जो कि सीसीडी के साथ-साथ और कंपनीज के लिए भी फर्नीचर बनाती थी वो फोसिस और माइट्री के अर्ली इन्वेस्टर्स भी रहे भाई साहब ने कुछ छोड़ा ही नहीं सब कुछ कर डाला क्यों हिला डाला ना इतने सारे एक्सपेंशस एक साथ पर जैसे कहते हैं कि हर एक्सपेंशन की एक बड़ी कीमत होती है और यही सीसीडी के साथ भी हुआ.
लॉसेस बढ़ते रहे और उनका ध्यान अपने कोर बिजनेस कैफे कॉफी डे से हट गया वो नए स्टार्टअप्स पर ज्यादा फोकस कर रहे थे पर दिक्कत ये थी कि सारे वेंचर्स लॉस में चल रहे थे एक के बाद एक प्रॉब्लम बढ़ती गई और एक टाइम पे प्रॉब्लम इतनी बड़ी बर गई कि सीसीडी फाइनेंशियल लॉसेस में आ गया और यर 2000 तक इंडिया में नेस कफे स्टारबक्स जैसे बड़े आउटलेट्स इंडिया में आ गए थे.
जिससे कैफे कॉफी डे का रेवेन्यू गिरने लगा पर सीसीडी ने दूसरी तरफ बैंक से लोन उठाकर एक्सपेंशन चालू करा अंधे एक्सपेंशस के चक्कर में सीसीडी पर बहुत सारा लोन हो गया और ये डेट स्पायरल में आ गया गए मतलब एक जगह लोन चुकाने के लिए दूसरी जगह से लोन लेना स्टार्ट कर दिया 2015 में लोन चुकाने के लिए ये आईपीओ लेके आए जहां पे इन्होंने 1150 करोड़ जमा करें जिनसे इन्होंने सिर्फ.
लोन ही चुकाया था आप सुनकर शौक हो जाओगे कि आईपीओ के दिन ही इनका शेयर प्राइस 3117 पर खुला था और डे एंड तक इनका शेयर प्राइस सिर्फ ₹2000000 तना लोन ले रखा था और यह सब आप स्क्रीन पर देख सकते हैं इतने सारे लोंस लेना और टाइम पर ना चुका पाना बहुत महंगा पड़ गया था जिसे सीसीडी को भारी लॉसेस हुए और उनका मार्केट कैप भी धीरे-धीरे गिरता.
जा रहा था और साथ ही साथ सीसीडी की स्ट्रेटेजिक ग्रोथ और एक्सपेंशन नहीं हो पा रही थी सिद्धार्था और सीसीडी चारों तरफ से घिरे हुए थे और इन्हीं डेट और लॉसेस के चलते उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म कर दी सिद्धार्था की डेथ के बाद उनकी वाइफ मालविका हेगड़े ने सीसीडी की जिम्मेदारी उठाई जब कंपनी 7200 करोड़ के भारी डेप्ट में थी उन्होंने सीसीडी के 25000 एंप्लॉयज.
को विश्वास दिलाया कि वह सीसीडी को जरूर बचाएंगे हर एक लेंडर से पर्सनली मिलकर उन्होंने नॉन ऑपरेशनल डेट पर्सनली नेगोशिएट करा जिससे डेट के इंटरेस्ट पेमेंट्स कम हुए अब सीसीडी बहुत ही स्ट्रेटजिकली अपने आउटलेट्स लगा रही है लॉस मेकिंग आउटलेट्स को शट डाउन कर रही है पिछले कुछ सालों में सीसीडी आउटलेट्स की लगातार संख्या कम हो रही है 202122 में.
सीसीडी के 495 कैफेस थे जो कि 2023 में घट के सिर्फ 469 हो गए अगर सिटीज की बात करें तो 2021 222 में ये 158 सिटीज में थे जो कि 20222 में घटकर 154 हो गया और 2023 24 में तो सिर्फ 141 सिटीज में रह गया इसका मतलब यह है कि कंपनीज अपने कैफे बंद कर रही है और कम सिटीज में ऑपरेट कर रही है फिर उन्होंने अपने स्टेक्स माइट्री श्रीराम क्रेडिट और वेस्ट वेल्थ को बेचकर.
और साथ ही साथ ब्लैक स्टोन से फंड रेज करकर अपना डेट सिर्फ 2693 करोड़ तक ला दिया रेवेन्यू बढ़ाने के लिए अपनी 20000 प्लस एकड़ वाली अरबिका बींस को एक्सपोर्ट करना स्टार्ट करा और साथ ही साथ सीसीडी वैल्यू एक्सप्रेस कियोस भी लॉन्च करें वेंडिंग मशीनस भी साथ-साथ एग्रेसिवली एक्सपेंड करी गई जो फाइनेंशियल ईयर 2022 में.
3880 थी f5 23 में 487881 2024 तक 5248 हो गई ये सब एफर्ट से डेट और घटकर सिर्फ 1731 करोड हो गया आज सीसीडी के 495 कैफेस 285 वैल्यू एक्सप्रेस कियोस और 5258 वेंडिंग मशीन और मालविका ने डेट सिर्फ फोर 65 करोट तक ला दिया जो कि 95 पर रिडक्शन है इससे सीसीडी का डेट 7200 करॉट.
से रिड्यूस होकर सिर्फ 427 करोस का रह गया है और साथ ही साथ कंपनी का टोटल लॉस 96 कम हो गया है q2 f5 2024 25 में ये लॉस सिर्फ 9.15 करोस का था जो अब क्वार्टर टू फाइनेंशियल ईयर 2025 में सिर्फ ₹ 4.31 कोड्स रह गया है और सबसे बड़ी बात उन्होंने कभी कंट्री नहीं छोड़ा अपने दो बच्चों को अकेले रेस किया और जो लेगासी सिजार छोड़कर गए थे उसे ना सिर्फ बचाया पर.
एक अलग लेवल पर ले गए तो दोस्तों यह थी कैफे कॉफी डे की कहानी एक सपने की शुरुआत तो आपको क्या लगता है अगर सिद्धार्था इतना ज्यादा एक्सपेंशन ना करते तो क्या सीसीडी आज भी टॉप पे होता क्या किसी बिजनेस के लिए इतना बड़ा लोन लेना सही होता है और क्या आपने कभी कैफे कॉफी डे की कॉफी ट्राई करी है अपना ओपिनियन हमें कमेंट्स में जरूर बताएं ऐसे ही और एक्साइटिंग बिजनेस.
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