जरा इमेजिन करो कि एक तरफ जेफ बेज़ोस खड़े हैं जिनके साथ 1 लाख से भी ज्यादा इंजीनियर्स हैं और वहीं पर उनके सामने खड़ी है एक अलवर राजस्थान से आने वाली हाउसवाइफ जो कि सिर्फ 10थ पास करी है और एक बेसिक सा स्मार्टफोन लेकर खड़ी है। अब यहां पर मजेदार बात पता है क्या है कि ये दोनों ही लोग ऑनलाइन बिज़नेस चलाते हैं। और यह जो हाउसवाइफ है ना रेखा देवी.
इन्होंने पिछले साल ₹7,20,000 कमाए हैं और वो भी सिर्फ घर बैठे-बैठे। अब यह हो कैसे पाया? तो ये इसलिए हो पाया क्योंकि इंडिया के अंदर एक ऐसा स्टार्टअप है जो पिछले 7 साल में 1.5 करोड़ से भी ज्यादा रेखा देवी क्रिएट कर चुका है। और हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से 60% औरतें टिए टू टिए थ्री सिटीज में से आती है। 0 से 4800 करोड़ का रेवेन्यू जहां पर ये लोग डेली के.
10 लाख से भी ज्यादा ऑर्डर्स देते हैं। एक ऐसी कंपनी जिसने WhatsApp को ही अपना सबसे बड़ा हथियार बना लिया। पर यहां पे सवाल यह है कि Meesho ने आखिर एक सिंपल से आईडिया से इतना बड़ा रेवोल्यूशन क्रिएट कैसे कर दिया? ये लोग भारत के 4000 से भी ज्यादा टाउनंस में पहुंचे कैसे? और सबसे बड़ी बात सिर्फ WhatsApp का इस्तेमाल करके आखिर इतने सारे लोगों को बिजनेसमैन कैसे बना.
दिया? यह सारी चीजें अभी समझने वाले हैं। अब जरा ध्यान से देखना क्योंकि यह है हमारा भारत। साल 2016 में ना इंडिया का जो ई-कॉमर्स मार्केट था उसमें एक बहुत ही शॉकिंग बात थी और वो यह थी कि 130 करोड़ लोगों की संख्या में से सिर्फ 10 ही करोड़ ऐसे लोग थे जो कि ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे थे। मतलब कि 120 करोड़ लोग अभी भी ऑनलाइन शॉपिंग नहीं कर रहे थे। तो टेक्निकली जो.
पूरा भारत है वो अभी ऑफलाइन ही था। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसा था क्यों? तो देखो यह रहा इसका जवाब। Flipkart की एक रिसर्च ने बताया कि 76% नॉन यूज़र्स को ना इंग्लिश ऐप से डर लगता था। 82% को पेमेंट सिक्योरिटी के ऊपर ट्रस्ट नहीं था और 91% ऐसे थे जिनको रिटर्न पॉलिसी बहुत ही ज्यादा कंफ्यूजिंग लगती थी। लेकिन अब एक मजेदार डाटा देखो टियर टू टियर थ्री सिटीज.
का। तो TRI की 2018 की रिपोर्ट के अकॉर्डिंग ना टिए टू टियर थ्री सिटीज के अंदर 40 करोड़ से भी ज्यादा स्मार्टफोन यूज़र्स थे। और ये जो स्मार्टफोन यूज़र्स थे इनमें से 85% यूज़र्स WhatsApp इस्तेमाल करते थे। और इनका जो डेली का जो सोशल मीडिया का यूजेज लिमिट था ना वो था 2ाई घंटा जो कि एक्चुअली में मेट्रो सिटीज से भी ज्यादा था। अब अगर आप डिलॉय इंडिया के.
2018 की रिटेल रिपोर्ट देखोगे ना तो उसके अंदर भी ये मेंशंड है कि टिए टू टिए थ्री सिटीज के अंदर ना उस टाइम पर 15 लाख करोड़ से भी ऊपर का रिटेल मार्केट था। लेकिन ऑनलाइन पेनिट्रेशन कितना था? हार्डली 2% और यही वो जगह है जहां से Meesho ना एक बहुत ही इंटरेस्टिंग पैटर्न को एनालाइज करता है और वो पैटर्न यह था कि इंडिया के अंदर ना अगर छोटे शहरों के अंदर.
टेक्नोलॉजी पहुंचानी है तो वहां पर ना ये चीज करने का एक सिंपल सा फार्मूला है और वो फार्मूला कुछ ऐसा दिखता था। सबसे पहले कि जो चीज है वो यूटिलिटी की होनी चाहिए। मतलब काम की चीज होनी चाहिए। दूसरी चीज सिंपलीसिटी बहुत ही आसान होनी चाहिए ताकि लोग उसका इस्तेमाल कर पाए। तीसरी चीज ट्रस्ट। विश्वास होना चाहिए लोगों को उस चीज पर और चौथा वैल्यू यानी कि पैसा वसूल.
होनी चाहिए। ऐसा नहीं कि पैसा बहुत ज्यादा लग रहा है और वैल्यू कुछ है ही नहीं। और यह चीज ना हमें WhatsApp के एग्जांपल से सिंपल समझ में आती है क्योंकि WhatsApp के अंदर ना यह सारे के सारे फैक्टर्स अच्छे खासे थे। इसलिए आज की डेट में 70 करोड़ से भी ज्यादा इंडियंस WhatsApp का इस्तेमाल कर रहे हैं। और इसीलिए Meesho ये डिसाइड करता है कि हम लोग ना WhatsApp के कंधे के.
ऊपर ही रख के बंदूक चलाएंगे। और ये चीज करने के लिए उन्होंने एक बहुत ही सिंपल स्ट्रेटजी का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि देखो जो WhatsApp है ना वो एक डिस्कवरी प्लेटफार्म है और ज्यादा यूज़र्स WhatsApp के पास है। अब हम क्या करते हैं? हम Meesho को एक बैक एंड इंफ्रास्ट्रक्चर बनाते हैं ताकि WhatsApp का जो डिस्कवरी प्लेटफार्म है उसका लेवरेज लेते हुए हम.
बैक एंड से चीजें सपोर्ट करके अपना बिजनेस बना लें। लेकिन इस स्ट्रेटजी का रिजल्ट क्या निकला? तो रिजल्ट ये निकला कि 6 महीने के अंदर-अंदर इन लोगों ने 1 लाख से भी ज्यादा सेलर्स को ऑनबोर्ड कर लिया अपने प्लेटफार्म पे। और 18 महीने के अंदर ये लोग 10 लाख सेलर्स से भी ज्यादा का नंबर्स क्रॉस कर गए। और 2018 तक ना टिए टू टिएर सिटीज में ना जो Meesho का एंगेजमेंट रेट.
था वो Flipkart और Amazon से तीन गुना ज्यादा था। क्यों? क्योंकि इनका अप्रोच बहुत सिंपल था कि देखो मेट्रो सिटीज के लिए डिजाइन मत करो। भारत के लिए डिजाइन करो और एक्चुअल भारत इन टिए टू टिए थ्री सिटीज में रहता है। अब देखो अगर आपको यहां तक इनका गेम समझ में आ गया है तो आगे समझते हैं कि किस तरीके से Meesho ने ना WhatsApp रिसेलिंग मॉडल पे मिनट बाय मिनट.
अपना काम किया। अब इस कंपैरेटिव डाटा को ध्यान से देखो। ये ट्रेडिशनल बिज़नेस और Meesho मॉडल के बीच का कंपैरिजन है। जहां पर एक ट्रेडिशनल बिज़नेस के लिए आपको शॉप का रेंट देना पड़ता है 15 से ₹00 पर महीने। वहीं पर Meesho पर इन्वेस्टमेंट होती है ज़ीरो। दूसरी चीज जहां पर इनिशियल इन्वेंटरी 2 से ₹5 लाख की एक नॉर्मल बंदे को ट्रेडिशनल बिजनेस में रखने की जरूरत.
पड़ती है। वहीं पर Meesho के ऊपर उसको जीरो इन्वेंटरी रखने की जरूरत है। तीसरा जहां पर उसे एक ट्रेडिशनल बिजनेस के अंदर एक स्टाफ की सैलरी देनी पड़ती है। करीब 8 से ₹15,000 मिनिमम पर पर्सन वहीं पर Meesho के ऊपर उसको कोई भी स्टाफ की रिक्वायरमेंट नहीं है। और सबसे बड़ी बात जहां पर एक ट्रेडिशनल स्टोर को सेटअप करने का टाइम उसको 30 से 45 दिन लग जाता है।.
वहीं पर Meesho के ऊपर उसका यह जो स्टार्टअप का टाइम है यह सिर्फ है 5 मिनट। अब ये तो हो गई बेसिक बिजनेस की बात लेकिन प्रॉफिट्स का क्या? तो देखो रिटेल एसोसिएशन की इंडिया रिपोर्ट के अकॉर्डिंग अगर एक ट्रेडिशनल बिजनेस का नॉर्मल प्रॉफिट मार्जिन आप देखो तो वो है 15 से 20% लेकिन वहीं पर जो Meesho के रिसेलर्स हैं उनका जो एवरेज मार्जिन निकल कर आता है.
वो है 22 से 30%। अब अगर यहां तक आप मेरे साथ हो तो आगे ये वाला डाटा भी देखो। ये Meesho का 2023 का डाटा है। जहां पर ये लोग जो डेली न्यू सेलर रजिस्ट्रेशनंस थी ना वो 12,000 से ज्यादा कर रहे थे। एक एवरेज सेलर इनके प्लेटफार्म पर जो अपना कैटलॉग शेयर करता है वो 35 पर डे है। एवरेज कन्वर्शन रेट निकल कर आता है 8% जो कि इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स 2 से 3% से.
ज्यादा है। और एवरेज टाइम टू फर्स्ट सेल जो भी सेलर इनके प्लेटफार्म पे आता है उसका रहता है 48 आवर्स। मतलब 48 आवर्स के आसपास उसको आराम से अपना पहला कस्टमर मिल जाता है। और यहीं पर अगर आप Meesho का एक और डाटा देखोगे तो यह बताता है कि WhatsApp से जो आए हुए कस्टमर्स हैं ना इनके पास उनका रिपीट परचेस रेट है 78% और जो डायरेक्ट ऐप यूज़र्स हैं उनका रिपीट रेट.
है 42%। अब सवाल ये है कि ये चीज आखिर Meesho ने करी कैसे? तो देखो इस चीज को समझने के लिए ना ये ट्रस्ट ड्रिवन प्रॉफिट साइकिल को ध्यान से समझना। इस साइकिल का जो सबसे पहला स्टेज होता है वो होता है एस्टैब्लिश ट्रस्ट। मतलब कि आप पहले ट्रस्ट बिल्ड करो अपने कस्टमर्स के साथ। दूसरी चीज यह जो ट्रस्ट है यह आपको बहुत ज्यादा ऑर्डर्स लाकर देगा और इसी से आपकी.
जो कस्टमर की डिमांड है वो धीरे-धीरे विद टाइम इनक्रीस हो जाएगी और उसके बाद आएगा आपका प्रॉफिट। अगर आपके पास ज्यादा कस्टमर्स आ रहे हैं तो ऑब्वियसली आप ज्यादा प्रॉफिट कमा पाओगे अगर आपके मार्जिन सेट है तो। और यही चीज Meesho के साथ हुई। अब कैसे हुई ये अभी आपको आगे समझ में आने वाला है। लेकिन अब प्रूफ के लिए एक 2020 के डेटा इनसाइड्स देख लो। 2020 का.
जो डाटा है ना वो ये बताता है कि इनके पास 1 करोड़ से भी ज्यादा एक्टिव रिसेलर्स थे इनके प्लेटफार्म के ऊपर। जिसमें से 70% सेलर्स वुमेन थी। 90% वुमेन ऐसी थी जो पहली बार एंटरप्रेन्योर बन रही थी और 60% से ज्यादा लोग इसमें टिए टू, टिए थ्री, टियर फोर सिटीज से आते थे। और Meesho की 2020 की एनुअल रिपोर्ट ये बताती है कि हर 8 सेकंड में ना इंडिया में एक नई.
एंटरप्रेन्योर Meesho को ज्वाइन करती थी। अब यहां पे आप पूछोगे कि मैं आखिर ये फीमेल टोन में बात क्यों कर रहा हूं? तो देखो इसका भी रीज़न Meesho ही है क्योंकि Meesho ने ना हमारे देश में एक ऐसी चीज क्रिएट करी जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी हमारे देश को और वो चीज है वुमेन एंपावरमेंट का रिवॉल्यूशन। देखो इंडिया में ना जो फीमेल वर्कफोर्स पार्टिसिपेशन.
रेट था ना वो था 20.3% जो कि दुनिया में सबसे कम था। लेकिन आज की डेट में ये बढ़कर पहुंच गया 41.7% पर। तो अगर आसान भाषा में समझे आज से कुछ साल पहले तक ना हर आठ में से छह महिलाएं इकोनॉमिकली डिपेंडेंट थी किसी और पर पैसे कमाने के लिए। अब देखो Meesho ने इस चीज को कैसे बदला। एक रियल लाइफ पिक्चर दिखाता हूं आपको। 32 साल की नेहा जो कि इंदौर की रहने वाली है और पहले.
एक हाउसवाइफ हुआ करती थी। उनकी ना मंथली हाउस होल्ड इनकम थी ₹22,000 लेकिन जब से उन्होंने Meesho पे काम करना शुरू किया है तो उनकी पर्सनल इनकम ₹42,000 पर मंथ पर पहुंच गई। यह टोटल फैमिली के लिए ₹190% का इनक्रीस है। और यह मैं अपने मन से नहीं बोल रहा हूं। ये फोब्स इंडिया वुमेन एंटरप्रेन्योर के अंदर भी फीचर हो चुकी हैं। एक और एग्जांपल देखो जो कि है.
रुक्सरका जो 27 साल की है। लखनऊ की रहने वाली है। इनके हस्बैंड का बिजनेस ना कोविड के अंदर खराब हो गया था और इनकी फैमिली के ऊपर ₹4,20,000 का कर्जा था। 6 महीने जब इन्होंने Meesho के ऊपर काम किया तो इन्होंने इस कर्जे को चुका दिया और आज की डेट में इनकी जो करंट मंथली इनकम है वो ₹75,000 की है। अब देखो यह सब सुनकर ना आपको बहुत ही अनबिलीवेबल सा लग रहा होगा।.
लेकिन मैं आपको एक बहुत ही फैसिनेटिंग स्टैटिस्टिक्स दिखाता हूं जो कि Meesho के इंटरनल सर्वे से निकल कर आते हैं। और यह जो डाटा है ना यह Meesho ने अपने ही प्लेटफार्म के लोगों से कलेक्ट किए हैं जो कि ये बताता है जहां पर 68% वुमेन सेलर्स के घर में ना उनकी रिस्पेक्ट लेवल इनक्रीस हो गई है। 82% लोगों ने रिपोर्ट की है कि उनका स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग इंप्रूव हुआ है।.
73% ये कहते हैं कि अब ना वो अपने घर के फाइनेंसियल डिसीजंस में पार्टिसिपेट करने लग गए हैं क्योंकि वो इनकम कर पा रहे हैं। और 91% लोग ये रिपोर्ट करते हैं कि हमारा कॉन्फिडेंस बढ़ा है जब से हमने पैसे कमाना शुरू किया है। और एक हैरानी की बात बताता हूं। 2020 में ना एक सर्वे के अंदर ये सामने आता है कि 47% Meesho पे जो वुमेन सेलर्स है ना वो अपने हस्बैंड से भी.
ज्यादा पैसा कमा रही है। पर देखो ये तो थी नंबर्स की बात। मगर सवाल ये आता है कि ये जो बिजनेस है ये यहां तक पहुंचा कैसे? आखिर इन लोगों ने कौन-कौन सी स्ट्रेटजीस का इस्तेमाल किया? तो देखो जो Meesho की सबसे पहली स्ट्रेटजी थी वो थी ज़ीरो कैक ग्रोथ मॉडल यानी कि ज़ीरो कॉस्ट ऑफ कस्टमर एक्विज़िशन का ग्रोथ मॉडल। देखो किसी भी बिज़नेस का ना जो सबसे एक्सपेंसिव पार्ट.
होता है वो होता है कस्टमर को अपनी दुकान तक लेके आना। यानी कि कॉस्ट ऑफ कस्टमर एक्विजिशन जिसको कैक कहते हैं। अब अगर आप इंडस्ट्री बेंचमार्क रिपोर्ट के हिसाब से देखोगे तो जो Flipkart का कैक है वो था 400 से 500 पर कस्टमर। Amazon का कैक था 600 से 700 पर कस्टमर। पर यहां पे मैजिक देखो। Meesho का कैक कितना था? ₹850 पर कस्टमर। यस यू हर्ड इट राइट। ₹8.5. अब.
आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि आखिर यह पॉसिबल कैसे है? और इसी चीज को कहते हैं ज़ीरो कैप ग्रोथ मॉडल। अब इसको समझने के लिए ना यह लाइन ऑफ ग्रोथ समझो। अगर ट्रेडिशनल ई-कॉमर्स की लाइन ऑफ ग्रोथ देखोगे तो वो कैसे दिखती है? कंपनी है। कंपनी एड्स चलाती है और ऐड से यूज़र्स लेके आती है। लेकिन Meesho का मॉडल इससे बिल्कुल ही अलग है। Meesho का काम है कि.
वो रिसेलर्स को लेकर आए अपने प्लेटफार्म पे जो कि ऑलरेडी WhatsApp के कस्टमर्स हैं। WhatsApp यूज़ कर रहे हैं। और एक ट्रस्टेड नेटवर्क बिल्ड करें। क्यों? क्योंकि ये जो रिसेलर्स आ रहे हैं ना इनका ऑलरेडी एक नेटवर्क एस्टैब्लिश्ड है WhatsApp के ऊपर। मतलब कि अगर आप कोई भी लोकल आंटी पकड़ लोगे जो WhatsApp यूज कर रही है। उनका ऑलरेडी एक ट्रस्टेड नेटवर्क.
है जहां पर वो फेमस है जहां पर वो लोगों को जानती हैं और WhatsApp को वो ऑलरेडी ट्रस्ट करती हैं। तो यहां पे क्या है कि कस्टमर को लाने के लिए बहुत ज्यादा पैसा नहीं खर्च करना पड़ा Meesho को। और अगर आप Meesho के ही यूजर एक्विजिशन एनालिटिक्स देखोगे ना 2022 के तो वो क्लियरली यह बताते हैं कि 92% Meesho यूज़र्स ना सेलर की रेकमेंडेशंस को ट्रस्ट करते हैं। 87%.
जो पहला ऑर्डर्स आते हैं वो WhatsApp से ही आते हैं और 70% यूज़र्स Meesho को डिस्कवर करते हैं उस इंसान के थ्रू जिसको वो पहले से जानते हैं। अब Meesho की ही जो ग्रोथ मैट्रिक्स रिपोर्ट है ना जिसको पीडब्ल्यूसी ने वेरीफाई की है वो एक बहुत इंटरेस्टिंग चीज सामने रखती है और वो चीज ये है कि स्टार्टअप गुरुस कहते हैं कि जो वायरल कोफिशिएंट है ना वो एक से ज्यादा.
होना चाहिए और Meesho का वायरल कोफिशिएंट कितना है? 2.8 अब ये वायरल कोफिशिएंट क्या होता है? तो देखो वायरल कोफिशिएंट का मतलब ये होता है कि हर एक यूज़र्स आखिर कितने नए यूज़र्स लेकर आ रहा है प्लेटफार्म के ऊपर। तो Meesho के केस में ना हर एक यूजर 2.8 के आसपास एवरेज यूज़र्स लेकर आता है। मतलब एक बंदा दो और या तीन और लोगों को लेकर आ जाता है प्लेटफार्म पर एवरेज में। और जब.
ये चीजें सामने आई तो Meesho के रियल नंबर्स ने ना इन्वेस्टर्स को भी शॉक कर दिया। ये डाटा 2018 का है तो थोड़ा सा पुराना है लेकिन आपको मैं वायरलिटी के हिसाब से समझाना जो चाह रहा हूं ना वो आपको समझ में आ जाएगा। यह पब्लिक फाइनेंसियल फाइलिंग्स का डाटा है 2018 का। जहां पर Meesho का मार्केटिंग बजट था ₹12 करोड़। वहीं पर Flipkart का मार्केटिंग.
बजट कितना था? ₹1100 करोड़ जहां पर Meesho ने ₹80 लाख नए यूज़र्स एक्वायर करे। वहीं पर Flipkart ने ₹1100 करोड़ खर्च करके कितने यूज़र्स एक्वायर करे? 1.2 करोड़। यानी कि 40 लाख यूज़र्स ज्यादा लेकर आया Flipkart Meesho से लेकिन पैसा देखो कितना ज्यादा खर्च किया। तो यह कंपैरिजन समझो। और यही वो चीज थी जिसने Meesho के इन्वेस्टर्स को शॉक में डाल दिया। लेकिन.
अब यहां पे ना आपको लग रहा होगा कि हां यूज़र्स आते होंगे फिर ऐप को चलाते होंगे और उसके बाद ना चले जाते होंगे। लेकिन इंटरेस्टिंग बात यह है कि इंडस्ट्री बेंचमार्क रिपोर्ट के हिसाब से अगर आप देखोगे ना तो Meesho के जो रिटेंशन मैट्रिक्स है ना वो काफी क्रेजी हैं। ये देखो इंडस्ट्री बेंचमार्क रिपोर्ट का डाटा जो कि यूजर रिटेंशन का कंपैरिजन दिखाता.
है। जहां पर इंडस्ट्री एवरेज 20 से 25% है। Meesho का यूजर रिटेंशन रेट है 45%। अब देखो Meesho पे मिलने वाले प्रोडक्ट्स कैसे हैं यह मेरे को जेनुइनली नहीं पता क्योंकि मैंने नहीं खरीदे हैं। लेकिन अगर बिजनेस के नजरिए से आप देखोगे ना तो Meesho ने यह सच में प्रूफ किया है कि भारत में जो मार्केटिंग है ना वो ज्यादा पैसे खर्च करने से नहीं होती है। ट्रस्ट.
बिल्ड करने से होती है। क्योंकि भारत में जब आपका प्रोडक्ट एक घर में एंटर करता है ना और उनको वो चीज सही लगती है। तो ऑटोमेटिकली वो 10 और घरों में पहुंचता है और यह भारत की सच्चाई है। अब यह मैं अपने मन से नहीं बोल रहा हूं। आपको एक डाटा दिखाता हूं। आपको क्लियर हो जाएगा। अब यह डाटा देखने से पहले ना एलटीवी टू कैक रेशियो का कांसेप्ट समझ लो। एलटीवी होता.
है लाइफटाइम कस्टमर वैल्यू और कैक आपको पता है कॉस्ट ऑफ कस्टमर एक्वज़िशन। अब लाइफटाइम कस्टमर वैल्यू को अगर आप डिवाइड कर दोगे कॉस्ट ऑफ कस्टमर एक्वज़िशन से तो एलटीवी टू कैक रेशियो आ जाता है। अब यह मैंने आपको इसलिए बताया क्योंकि यूनिट इकोनॉमिक एनालिसिस बाय बेल एंड कंपनी का जो डाटा है ना वो ये दिखाता है कि एलटीवी टू कैक रेशियो का कंपैरिजन किस तरीके से.
नजर आता है इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स Amazon, Flipkart और Meesho के बीच में। तो देखो जो इंडस्ट्री स्टैंडर्ड है वो है 3:1 यानी कि कंपनी अगर ₹100 खर्च कर रही है तो ₹300 कस्टमर से कमा लेगी पूरी उसकी लाइफटाइम में। जो Amazon Flipkart का यह रेशियो है LTV टू C वो है 4:1 मतलब ₹100 ये लोग खर्च करते हैं ₹400 के आसपास एवरेज में कमा लेते हैं। Meesho का कितना है? 3:1 जो कि.
अच्छा खासा डिसेंट है। अब यहां पे जो सबसे इंटरेस्टिंग बात है वो यह है कि Meesho जैसी कंपनी आखिर Amazon और Flipkart जैसे बड़े-बड़े जॉइंट से कमट कर कैसे पा रही है? तो देखो इस चीज को समझने के लिए ना आप Meesho का बिजनेस मॉडल समझो। तो इनके बिजनेस मॉडल को ब्रेकडाउन करते हैं। तो चलो अब बात करते हैं रियल नंबर्स की। क्योंकि लॉस जो है ना वो स्टार्टअप का.
दोस्त होता है। जहां पर स्टार्टअप वहां पर लॉस। और आप में से बहुत सारे लोग ये बोलेंगे कि इतना अच्छा अच्छा बता दिया आपने। सच्चाई बताओ ना कि असलियत क्या है? तो असलियत भी अभी जान लेते हैं। तो देखो ये रहे नंबर्स। Meesho की एनुअल फाइनेंसियल रिपोर्टिंग्स का डाटा है ये जो कि PWC ने वेरीफाई की है। अब देखो 2020 में इनका रेवेन्यू था 337 करोड़ लेकिन इनको.
जो लॉस हुआ था वो हुआ था 498 करोड़ का। 2021 के अंदर इन लोगों ने ₹792 करोड़ के आसपास का रेवेन्यू किया और 727 करोड़ का लॉस किया। उसके अगले साल 2023 में इनका रेवेन्यू बढ़ा 3221 करोड़ पे पहुंचा। लेकिन इन्होंने जो लॉस किया वो था 3247 करोड़। उसके बाद जो अगला साल था 2023 के अंदर इनका जो रेवेन्यू पहुंचा वो था 5735 करोड़ लेकिन इन लोगों ने लॉसेस कितने.
किए टोटल ₹1620 करोड़ लेकिन 2024 का अगर आप डाटा देखोगे ध्यान से तो इन्होंने 765 करोड़ का रेवेन्यू किया लेकिन अपने लॉसेस को कट डाउन करके ये लोग ले आए 53 करोड़ पे तो इनका ग्रोथ रेट कितना हुआ 275% का कैगर यानी कि कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट ओवर द थ्री इयर्स और Meesho की फाइनेंसियल रिपोर्टिंग्स ये बताती है कि इन लोगों ने सिग्निफिकेंटली अपने लॉसेस को कट डाउन की.
है। 53 करोड़ पे ले आए हैं पिछले साल के लॉस को। अगर आप उसको कंपेयर करोगे पुराने लॉसेस से और इनका जो रेवेन्यू है वो 33% ग्रो किया है। 7615 करोड़ का रेवेन्यू पहुंच गया है। अब देखो ये जो रेवेन्यू है ये आखिर आ कहां से रहा है? तो इनके रेवेन्यू स्ट्रीम का ब्रेकडाउन भी देख लो। इनका 27% रेवेन्यू आता है इनके ऐड से। मतलब कि अगर Meesho पे कोई ऐड चलाता है कि.
मेरा प्रोडक्ट ऊपर नजर आए। वहां से इनका रेवेन्यू आता है। 14% इनका रेवेन्यू आता है लॉजिस्टिक्स मार्जिन से जो ये लॉजिस्टिक्स सर्विस प्रोवाइड करते हैं और 59% रेवेन्यू इनका आता है कमीशन से जो ये कमीशन चार्ज करते हैं। अब ये दोनों चीजें देखकर आप बोलोगे कि देखो फाइनेंसियल्स तो ये बता रहे हैं कि कंपनी तो है लॉसेस में। और कंपनी का जो रेवेन्यू ब्रेकडाउन है वो.
भी हमें समझ में आ गया कि पैसा कहां से कितना आ रहा है। लेकिन इंपॉर्टेंट चीज जो देखने के लिए है वो है Meesho की यूनिट इकोनॉमिक्स। मतलब कि यह लोग पर यूनिट इकोनॉमिक पर प्रॉफिटेबल हैं या नहीं है। तो यह रहे यूनिट इकोनॉमिक्स जो इनका एवरेज ऑर्डर वैल्यू है वो है ₹352 जिसके ऊपर ये लोग प्लेटफार्म फी चार्ज करते हैं यानी कि ₹42% के आसपास। लॉजिस्टिक्स का जो इनका.
मार्जिन है वो है ₹18 और जो ऐड रेवेन्यू ये लोग कमाते हैं वो है ₹9। तो टोटल रेवेन्यू जो ये लोग पर ऑर्डर कमाते हैं वो है ₹69। अब देखो इनकी कॉस्ट कहां-कहां पर है? जो इनकी फुलफिलमेंट कॉस्ट है वो है ₹41 इस ऑर्डर के एवरेज के हिसाब से। मार्केटिंग कॉस्ट लगती है ₹7 की। बाकी के जो एक्सपेंसेस लगते हैं वो लगते हैं ₹15 के। तो टोटल बनता है 63। मतलब कि इनका जो.
एवरेज कंट्रीब्यूशन मार्जिन है जो पैसा ये लोग कमा रहे हैं पर ऑर्डर वो आता है ₹6 यानी कि 8.7%। अब Meesho की यही जो चीज है ना इसको और ज्यादा बूस्ट करने के लिए साल 2020 में ना Meesho ने एक बहुत ही गेम चेंजिंग डिसीजन लिया था। और वो डिसीजन क्या था? ज़ीरो कमीशन फॉर ऑर्डर्स बिलो ₹500। अब यहां पे इंटरेस्टिंग बात ये है कि जब Meesho ने इस चीज को अनाउंस किया ना.
तो ज्यादातर इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने ये बात बोली कि यह चीज ना आपको बर्बाद कर देगी। यह कंप्लीट तरीके से बिजनेस के फेलियर का एक बहुत बड़ा रीजन बनने वाला है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। आप इंपैक्ट देखो जीरो कमीशन मॉडल का कितना बड़ा होगा। ये रहा उस चीज का वेरीिफाइड डाटा। जो जीरो कमीशन मॉडल है ना उसके बाद जो सेलर की ग्रोथ है वो 230% से इनक्रीस हो गई। इनका.
जो ऑर्डर वॉल्यूम था वो 340% इनक्रीस हो गया और इनका जो जीएमवी ग्रोथ था यानी कि ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू का जो ग्रोथ था वो 210% से इनक्रीस हो गया। लेकिन यहां पर एक बहुत ही इंपॉर्टेंट बात है समझने वाली और वो ये है कि जो Meesho का ये जीरो कमीशन गैंबल था ना ये इसलिए काम किया क्योंकि Meesho के जो स्केल ऑफ इकोनॉमिक्स है वो बहुत ही ज्यादा बड़े थे। 35 लाख से.
ज्यादा डेली ऑर्डर्स ये लोग कर रहे थे और छोटे मार्जिनस के बावजूद भी ये लोग लॉजिस्टिक्स एड्स इन सारी चीजों का खर्चा उठाने के बाद भी यूनिट इकोनॉमिक्स में प्रॉफिट निकाल पा रहे थे क्योंकि स्केल बहुत ही ज्यादा बड़ा था। और यह मैं नहीं बोल रहा हूं। यह बीसीजी की स्केल इकोनॉमिक्स रिपोर्ट के अंदर आया है। लेकिन अब यहां पर ना एक बहुत बड़ा सवाल आकर खड़ा.
हो जाता है और वो यह है कि देखो धंधे का मतलब होता है प्रॉफिटेबिलिटी। अगर प्रॉफिटेबिलिटी नहीं है तो कोई बिजनेस नहीं है। तो ये लोग आखिर प्रॉफिट कमाएंगे कैसे? इनकी प्रॉफिटेबिलिटी का रोड मैप कैसा दिखता है? तो देखो अगर आप इनकी प्रॉफिटेबिलिटी का रोड मैप देखोगे ना इनका जो करंट बर्न रेट है वो है ₹53 करोड़ पर ईयर। अगर हम पिछले साल के हिसाब से.
कैलकुलेट करें तो इनका जो प्रोजेक्टेड ब्रेक इवन है मतलब कि जहां पर इनके सारे अभी तक इन्होंने जितने खर्चे करे हैं सारा सब कुछ हटाने के बाद सारा जो पैसा सेटल करने के बाद क्वार्टर 3 2025 में ये लोग अपना ब्रेक इवन अचीव कर लेंगे और जो इनका प्रोजेक्टेड आईपीओ है जब ये आईपीओ लाने की प्लानिंग कर रहे हैं वो है साल 2026 तो ये है इनकी प्रॉफिटेबिलिटी का रोड मैप अब.
यहां पे बात ये कि आप में से बहुत सारे लोग बोलेंगे कि ये कैसी चीज है ये कोई सेंस थोड़ी ना बना रही है लेकिन नाशो ने एक बहुत ही फैसनेटिंग स्ट्रेटजी इंप्लीमेंट करी ध्यान से सुनना और वो स्ट्रेटजी ये है कि स्केल फर्स्ट मोनेटाइज लेटर बट विद क्लियर यूनिट इकोनॉमिक्स फ्रॉम डे वन मतलब कि यूनिट इकोनॉमिक्स में प्रॉफिट होना चाहिए। पहले स्केलेबिलिटी पे.
फोकस करते हैं। मोनेटाइजेशन हो जाएगा अगर यूनिट इकोनॉमिक्स प्रॉफिटेबल है तो। क्योंकि देखो जो ट्रेडिशनल बिजनेस की विज़डम है ना वो ये कहती है दैट रेवेन्यू इज़ वैनिटी, प्रॉफिट इज़ सैनिटी। रेवेन्यू तो सिर्फ बोलने की बात है। प्रॉफिट है तो वही सबसे बड़ी बात है। लेकिन MSHO का अप्रोच यहां से थोड़ा सा अलग था। Meesho कहता है कि स्केल इज़ वैनिटी, यूनिट.
इकोनॉमिक्स इज़ सैनिटी, सोशल इंपैक्ट इज़ ह्यूमैनिटी। मतलब ये लोग ये बोल रहे हैं कि देखो स्केल जो है ना वो सबसे इंपॉर्टेंट है हमारे लिए। इकोनॉमिक्स जो यूनिट इकोनॉमिक्स है उसको हम कंट्रोल में रखेंगे ताकि प्रॉफिटेबिलिटी हम अचीव कर लें। प्रॉफिटेबिलिटी का रोड मैप एकदम हमेंजी ना नजर आए। और जो सोशल इंपैक्ट है वो सबसे बड़ी ह्यूमैनिटी का काम है।.
क्योंकि जब वो सबसे बड़ा होगा तो हमारा प्रॉफिट अपने आप निकल के आ जाएगा। और यही चीज Meesho करने की कोशिश कर रहा है। पर यहां पे ना अभी भी एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है। और वो प्रॉब्लम यह है कि Flipkart और Amazon जैसे जो बड़े जॉइंट्स हैं उनके होते हुए आखिर Meesho ये सब कुछ कर भी पाएगा या नहीं और अगर करेगा तो कैसे करेगा? तो देखो इस चीज को समझने के लिए ना.
कुछ डेटा पॉइंट्स को रेफर करते हैं। उससे आपको थोड़ी सी बेटर चीज समझ में आएगी। अभी मैं आपको एक बहुत ही एक्सक्लूसिव डेटा शेयर करने वाला हूं जो आपको इतनी आसानी से मिलेगा नहीं। लेकिन लेट मी टेल यू ये जो डाटा है ये आपकी आंखें खोल देगा। जिसमें सबसे पहला डाटा है फॉरेस्टर ई-कॉमर्स की मार्केट रिपोर्ट जो कि 2023 में लॉन्च हुई थी। अब इसके अकॉर्डिंग ना अगर आप ई-कॉमर्स.
का मार्केट शेयर देखोगे इंडिया के अंदर Amazon का है 32%, Flipkart का है 34%। बाकी जितने भी प्लेयर्स हैं उनका है 6% लेकिन Meesho का कितना है? 28%। अब आप बोलोगे कि ये तो Flipkart, Amazon से कम है। लेकिन कहानी यहां पे खत्म नहीं होती है बॉस। आगे समझो। टियर टू टियर थ्री सिटीज का जो डाटा है ना असली पिक्चर वहां पर छुपी है। अगर आप टियर टू टिए थ्री.
सिटीज का जो ब्रेकडाउन है उसको ध्यान से देखोगे तो वो डाटा आपको ये दिखाएगा कि जहां पर Flipkart का शेयर है 27% Amazon का है 21% वहीं पर Meesho का शेयर कितना है? Meesho का शेयर है 41% और बाकी जितने भी प्लेयर्स हैं उनका 11% के आसपास का शेयर है। तो जो क्लियर पिक्चर है वो यह है कि जो अर्बन सिटीज है वहां पर Amazon, Flipkart, Meesho से काफी आगे है। लेकिन.
अगर आप इसको कंपेयर करते हो टियर टू टियर थ्री सिटीज से जो कि असली भारत है। वहां पर Meesho लीडिंग प्लेयर है। लेकिन ये सब कुछ आखिर हो कैसे पाया। Meesho ने ये सब कुछ किया कैसे? तो देखो इस चीज को समझने के लिए ना एक स्ट्रेटेजी कंपैरिजन समझाता हूं आपको मैं इन तीनों जॉइंट्स का। वहां पे आपको क्लियर हो जाएगा। तो देखो जो सबसे पहला स्ट्रेटजी कंपैरिजन है ना वो है UI.
UX की कॉम्प्लेक्सिटी। अगर हम यहां पे Meesho, Amazon और Flipkart इन तीनों को कंपेयर करें तो जहां पर Amazon के ऊपर एक एवरेज बंदे को 42 क्लिक्स करने पड़ते हैं वहीं पर Flipkart के ऊपर उसको 38 क्लिक्स करने पड़ते हैं। लेकिन Meesho पे उसका काम सिर्फ 19 क्लिक्स के अंदर हो जाता है। दिस इज द डिफरेंस बिटवीन UI UX का कॉम्प्लेक्सिटी। अब हो सकता है कि आपको ये.
चीज बहुत ही इररेिलेवेंट लग रही हो। लेकिन इस चीज का जो पूरा सेंस है वो अभी आपको आगे समझ में आएगा। दूसरा कंपैरिजन देखो जो कि है लैंग्वेज ऑप्शंस का। अगर इस चीज को आप कंपेयर करोगे तो जहां पर Amazon के ऊपर सिर्फ पांच लैंग्वेजेस के अंदर चीजें अवेलेबल हैं। Flipkart के ऊपर सिर्फ सात लैंग्वेज सपोर्टेड है। वहीं पर Meesho 12 लैंग्वेजेस के अंदर अपने प्लेटफार्म का.
सपोर्ट देता है। अब आप बोलोगे कि इस डेटा से फर्क क्या पड़ता है? तो देखो अगला डाटा देखो आपको समझ में आ जाएगा कि कितना बड़ा इंपैक्ट पड़ता है। अगला डाटा है डिलीवरी नेटवर्क के कंपैरिजन का। जो डिलीवरी नेटवर्क का कंपैरिजन है वो आपको यह दिखाएगा कि किस तरीके से यूआई यूएस कॉम्प्लेक्सिटी और लैंग्वेज सपोर्ट डिलीवरी नेटवर्क के कवरेज के ऊपर इंपैक्ट.
पड़ता है। देखो जो Amazon का डिलीवरी नेटवर्क कवरेज है वो है 2500 सिटीज तक। जो Flipkart का है वो है 3000 सिटीज तक। लेकिन जो Meesho का है वो 19,000 से ज्यादा सिटीज और 6000 से ज्यादा रूरल पिन कोड्स तक पहुंच चुका है। अब ये क्यों हो पाया? क्योंकि UIX की कॉम्प्लेक्सिटी कम है और लैंग्वेज सपोर्ट ज्यादा बेटर है अपने कॉम्पिटिटर्स के कंपैरिजन में। और यह.
जो तीन चीज़ हैं, यह कंबाइन होती है अगले डाटा के साथ जो कि टोटल इंपैक्ट क्रिएट करता है। और अगला डाटा है एवरेज प्रोडक्ट प्राइस पॉइंट्स का। अब एवरेज प्रोडक्ट प्राइस पॉइंट्स देखोगे, तो जहां पर Amazon का एवरेज प्रोडक्ट प्राइस पॉइंट है ₹1200, Flipkart का है ₹980, वहीं पर Meesho का कितना है? ₹350। अब यह जो चारों चीजें हैं, यही चीजें कंबाइन होती हैं और अगला.
डाटा बनकर आता है जो कि है एक्चुअल रियलिटी और वह रियलिटी दिखाती है नेट प्रमोटर स्कोर यानी कि एनपीएस जो बताता है कि कस्टमर सेटिस्फेक्शन कितना है। अब अगर आप इसका डाटा भी ध्यान से देखोगे तो एनपीएस स्कोर यह बताता है कि Amazon का एनपीएस स्कोर है 62 जो कि वहीं पर Flipkart का है 58 यानी कि Amazon का बेटर है लेकिन Meesho का कितना है? 71 और यह.
मैं नहीं बोल रहा हूं। यह एनपीएस बेंचमार्क स्टडी जो कि कॉलिक्स ने करी है जो कि कस्टमर सेटिस्फेक्शन सर्वे कंडक्ट करते हैं उनका डाटा बता रहा है। अब हो सकता है कि आपको यह सुनने में थोड़ा सा अजीब लगे लेकिन एक फैसनेटिंग इनसाइट देता हो Meesho के यूजर रिसर्च से जो कि ये बताता है कि 73% ऑफ Meesho यूज़र्स ना वो कहते हैं कि हम लोग ना Amazon Flipkart से.
शॉप नहीं करते हैं। क्यों? क्योंकि वो हमारे लिए नहीं है। अब ये लोग ऐसा क्यों बोल रहे हैं? क्योंकि ये लोग टियर टू टियर थ्री यूज़र्स हैं। अब यहां पे जो समझने वाली बात है वो ये कि Meesho आखिर ये कर कैसे पाया? Meesho ने इन जॉइंट्स को बीट कैसे किया? तो देखो इस चीज को समझने के लिए ना आप ये समझो कि Meesho ने आखिर कौन सी चीज पकड़ी जो कि इन जॉइंट्स ने मिस कर.
दी। जॉइंट्स ये देखते हैं कि भारत को ना ट्रांजैक्शंस चाहिए। लेकिन MSHO को ये समझ में आया कि भारत को ट्रांजैक्शन से ज्यादा इंपॉर्टेंट है रिलेशनशिप्स चाहिए क्योंकि हमारी जो कंट्री है वो बहुत ज्यादा इमोशनल है। दूसरी चीज जो ये जितने भी जॉइंट्स हैं इन्होंने कहा कि भारत को ना जो ग्लोबल स्टैंडर्ड्स हैं उसके हिसाब से सामान चाहिए। लेकिन एक्चुअली में भारत को किस.
चीज की जरूरत थी? लोकल रेलेवेंस की। क्योंकि ज्यादातर लोग यहां पर लोकल रेलेवेंस के हिसाब से चीजें परचेस करते हैं। अब अगली चीज देखो इन लोगों ने ये समझा कि भारत वैल्यू करता है प्रीमियम फीचर्स को। इसीलिए आप Amazon, Flipkart का जो पूरा हिसाब देखोगे वो बहुत ही प्रीमियम नजर आता है। लेकिन Meesho ने ये समझा कि भारत के लिए इंपॉर्टेंट है अफोर्डेबिलिटी।.
वो उससे ज्यादा किसी चीज को वैल्यू नहीं करते। अफोर्डेबल होनी चाहिए चीज। वहीं पर ये जो जॉइंट्स थे इन्होंने बोला कि देखो भारत जो है ना वो प्लेटफॉर्म्स को ट्रस्ट करते हैं। लेकिन Meesho को समझ में आ गया था कि भारत कभी भी किसी प्लेटफार्म को ट्रस्ट नहीं करेगा। भारत सिर्फ ट्रस्ट करता है लोगों को। मतलब आप किसी इंसान पे ज्यादा भरोसा करोगे, प्लेटफार्म पे नहीं.
करते हो क्योंकि प्लेटफार्म तो टेक से बना है। और ये जो पूरी चीज मैंने आपको दिखाई ना ये मैं अपने मन से नहीं कह रहा हूं। ये मैकजी के रूरल कंज्यूमर स्टडी के अंदर सामने आया है। और Meesho के एक इंटरनल डॉक्यूमेंट के अंदर ये सामने आया कि ये लोग ना Amazon, Flipkart से कमपीट करना ही नहीं चाहते। ये लोग एक एकदम ही अलग ई-कॉमर्स मॉडल क्रिएट कर रहे हैं। जो कि.
भारत के टिएर टू, टियर थ्री सिटीज को एम्पॉवर कर सके। तो टेक्निकली अगर आप देखोगे तो जितने भी इन्वेस्टर्स हैं, जितने भी नॉर्मल बिजनेस एनालिस्ट हैं वो Meesho को Amazon, Flipkart से कंपेयर करते हैं। बट इन रियलिटी Meesho यह खुद कह रहे हैं कि हम लोग Amazon, Flipkart से कमपीट कर ही नहीं रहे। उनका मार्केट अलग है, हमारा मार्केट अलग है। यहां तक कि एक.
सीनियर Amazon एग्जीक्यूटिव ने भी यह कहा कि हम लोग ना बिलियंस ऑफ डॉलर्स खर्चा करते हैं रूरल कस्टमर्स को एक्वायर करने के लिए। लेकिन MSHO ने ये कर लिया ना के बराबर पैसे खर्च करके। क्यों? क्योंकि उनको कल्चरल कॉन्टेक्स्ट समझ में आया जो हमने मिस कर दिया। पर देखो ऐसा नहीं है कि इनको कभी भी कोई चैलेंजज़ ही नहीं आए या फिर Meesho के साथ सब कुछ परफेक्ट है।.
क्योंकि बहुत सारे लोग यहां पर कमेंट सेक्शन में बोलेंगे कि अरे हमने प्रोडक्ट मंगवाया है बेकार है। यह प्रॉब्लम है, वो प्रॉब्लम है, सारी चीजें। तो ये चीज बिल्कुल सच है। क्योंकि हर एक कंपनी के अंदर चैलेंजेस और सॉलशंस ये सारी चीजें एक्सिस्ट करती है। और Meesho के साथ भी ये सेम चीज हुई थी। अगर आप ध्यान से देखोगे ना ग्रोथ ना कभी भी लीनियर नहीं हुई है।.
Meesho की हमेशा अप्स एंड डाउन से भरी हुई है। और ये मैं क्यों बता रहा हूं? अभी आप समझो। Meesho के साथ हो क्या रहा है? क्या लगता है आपको? इतनी सारी चीजें Meesho ने इतने आराम से कर ली। सब कुछ परफेक्ट है। बिल्कुल भी नहीं। प्रॉब्लम्स हैं कंपनी में। आज भी एग्जिस्ट करती है। ऐसा नहीं है। और अभी समझते हैं कि आखिर कौन-कौन सी प्रॉब्लम्स इन लोगों ने फेस करी। 2020 का.
एक डाटा दिखाता हूं मैं आपको जहां पर ना Twitter के ऊपर ये चीज ट्रेंड हुई थी कि डिलीट Meesho। अब इसका रीज़न क्या था? रीज़न बहुत ही क्लियर था। 28% लोगों ने कंप्लेंट करी। 28% ऑर्डर्स की कंप्लेंट आने लगी इनके पास। दूसरी चीज इनका रिटर्न रेट जो था ना वो पीक कर गया 34%। मतलब इतने सारे लोग ऑर्डर रिटर्न कर रहे थे और सबसेेंट बात 12,000 से ज्यादा नेगेटिव रिव्यूज आ.
गए थे एक ही महीने के अंदर। ये मेजर क्वालिटी इश्यूज थे जो Meesho ने फेस किए हैं और ये डाटा मैं नहीं बोल रहा हूं। ये सोशल मीडिया एनालिसिस रिपोर्ट का डाटा है। जब Meesho के साथ ये वाली चीज हुई तो ये कंपनी के लिए एक बहुत ही बड़ा क्राइसिस था। और इतनी खराब हो गई थी हालत कि लोगों ने सीरियसली एप्लीकेशन डिलीट करना शुरू कर दिया। लोगों ने कहा बेकार कंपनी है। हमको.
काम ही नहीं करना इनके साथ। और ये लोग ना समझ चुके थे कि अगर हमने इस टाइम पर स्टेप्स पीछे नहीं लिए तो हम बर्बाद भी हो सकते हैं। तो देखो इस मोमेंट पर ना Meesho ने हर एक चीज को ड्रॉप किया और सिर्फ डाटा की बात सुनी। अब देखो डाटा इनको बता क्या रहा था? डेटा ने क्लियरली इनको सिग्नल्स दिए। सबसे पहली चीज प्रोडक्ट क्वालिटी के अंदर बहुत बड़ा चैलेंज था। 35% जो.
ड्रॉपशिपिंग थी ना वो अनवेेरिफाइड प्रोडक्ट्स की हो रही थी। प्रोडक्ट्स वेरीफाई ही नहीं हो रहे थे। तो आखिर लोगों के पास माल क्या पहुंच रहा है? उसका कोई हिसाब ही नहीं था। इसका सॉल्यूशन इन्होंने क्या निकाला? क्वालिटी स्कोर का एल्गोरिदम डेवलप किया। जहां पर 27 पैरामीटर्स से ये लोग प्रोडक्ट्स की चेकिंग करेंगे। रिजल्ट क्या निकला? जितने भी पुअर क्वालिटी.
सेलर्स थे जो घटिया माल बेच रहे थे उनको 60 दिनों के अंदर-अंदर रिमूव कर दिया गया प्लेटफार्म से। क्योंकि Meesho पर हो क्या रहा था कि लोग ना सेलर्स का माल प्रमोट कर रहे थे। मतलब कि मैं Meesho पे हूं। मैं रिसेलर हूं। मैं बेसिकली किसी और का माल किसी और को बेच रहा हूं। लेकिन मेरे पास जिससे सामान आ रहा है अगर उसका सामान ही घटिया होगा तो प्रॉब्लम आएगी ना। तो इन.
लोगों ने वो जो घटिया सामान लोग दे रहे थे उसको रिमूव किया। 60 दिन के अंदर-अंदर इन्होंने पुअर क्वालिटी सेलर्स को रिमूव करने का सिंपल सा सिस्टम डेवलप किया। इससे इंपैक्ट क्या हुआ? जो इनके रिटर्न्स का रेट था वो 34% तक जो पहुंच गया था वो कम हो के 12% पे आ गया और इंडस्ट्री एवरेज आज भी 25% पे है। अब ये तो पहला चैलेंज था। जो दूसरा चैलेंज Meesho को आया वो था.
लॉजिस्टिक्स का नाइट मेयर। अब समझो यहां पे प्रॉब्लम क्या-क्या हुई? सबसे पहली चीज 7 से 10 दिन का डिलीवरी टाइम लग रहा था टियर टू टियर थ्री सिटीज के अंदर जो कि बहुत ही ज्यादा है। अगर उसको कंपेयर करोगे Amazon, Flipkart से तो। इसका सॉलशन इन लोगों ने क्या निकाला? सॉलशन ये निकाला अपना लॉजिस्टिक्स नेटवर्क इन लोगों ने डेवलप किया। ₹235 करोड़ की इन्वेस्टमेंट.
करी। रीजनल वेयर हाउसेस खोले 25 से ज्यादा सिटीज में ताकि ये जो 7 से 10 दिन का डिलीवरी टाइम है इसको कट डाउन किया जा सके और लोगों तक सामान जल्दी से पहुंचे। रिजल्ट क्या निकला? जो इनका एवरेज डिलीवरी टाइम था वो 7 से 10 दिन से घटकर 3 से 2 दिन के ऊपर आ गया। 65% इन लोगों ने इंप्रूव कर लिया। एंड अगेन ये चीज मैं नहीं बोल रहा हूं। ये MSHO की लॉजिस्टिक्स.
इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट के अंदर आई गई फाइंडिंग्स हैं जो कि सप्लाई चेन एनालिसिस बाय डलॉयड जो उन्होंने कंडक्ट किया था उससे वेरीफाई किया गया है। अब कंपनी के लिए ये दो चैलेंजेस तो फिर भी मैनेजेबल थी लेकिन जो तीसरा चैलेंज था वो सबसे बड़ा था जो कि था कस्टमर सपोर्ट इनका कोलैप्स कर गया था बहुत बुरी तरीके से और वही बना सबसे बड़ी प्रॉब्लम। आप एक चीज समझो इनको.
इशू क्या आया कि 11 लाख से ज्यादा मंथली टिकट्स। मतलब इतनी सारी क्वेरीज आ गई कस्टमर्स की और 82% रेजोल्यूशन का जो टाइम था ना वो 48 आवर्स से ज्यादा था। किसी कस्टमर ने कोई कंप्लेंट डाली है। इसका जो रेजोल्यूशन टाइम है वो 2 दिन के आसपास है। तो कस्टमर वैसे ही परेशान हो जाता है कि मेरे को जल्दी से जल्दी अपनी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन चाहिए। सॉल्यूशन क्या बिल्ड.
किया? एआई बेस्ड सिस्टम लगाया सात लैंग्वेज के अंदर डिप्लॉय किया जिसकी कैपेसिटी क्या थी? 95,000 क्वेरीज 1 घंटे के अंदर-अंदर रिॉल्व कर सकता है। तो आज की डेट में अगर कोई चेक करेगा तो उसको ये चीज दिख जाएगी सिस्टम्स के ऊपर कि ये चीज इन लोगों ने कर दी है। अब यहां पे इसका रिजल्ट क्या निकला इनका? 85% जो क्वेरीज थी वो ऑटो रिॉल्व हो गई। क्योंकि देखो यह.
चीज़ बहुत मैकेनिकल होती है और ज्यादातर जो क्वेरीज होती है ना वो बहुत सिंपल होती है। उसको आप एआई से सॉल्व कर सकते हो। और 92% जो इनकी क्वेरीज हैं जो कि एआई सॉल्व नहीं कर सकता जिसमें ह्यूमन इन्वॉल्वमेंट की रिक्वायरमेंट है वो 6 घंटे के अंदर-अंदर ये लोग रिॉल्व करने लगे। अगेन ये चीज मैं नहीं बोल रहा हूं। Meesho कस्टमर सर्विस ट्रांसफॉर्मेशन डॉक्यूमेंट.
जो कि एआई इंप्लीमेंटेशन केस स्टडी के अंदर मेंशंड है। उसका ये डाटा है। अब इन तीन चैलेंजेस के बाद ना जो चौथा चैलेंज कंपनी को आया उसने कंपनी को ऊपर से लेकर नीचे तक हिला कर रख दिया और वो था सेलर्स का फ्रॉड। अब एक चीज समझो इशू क्या आ रहा था? इशू ये आ रहा था कि प्राइस इनफ्लेशन कर रहे थे कुछ सेलर्स कितना? मार्क अप 70% 100% मतलब जितना प्राइस है ना उससे बहुत.
ही ज्यादा बहुत ही ज्यादा महंगा बेच रहे थे। इन्होंने क्या किया? सॉल्यूशन कैसे निकाला? रियल टाइम प्राइस कंपैरिजन इंजन लगाया जो कि सेलर वेरिफिकेशन करता है आधार और वीडियो केवाईसी के थ्रू। प्लस ये लोग यह मेंशन करते हैं कि देखो रियल टाइम का जो प्राइस का कंपैरिजन है वो किस तरीके से होगा। यानी कि ऐसा नहीं हो सकता कि सेलर उसको 50% 100% ज्यादा महंगा बेच रहा है।.
क्योंकि अगर वो महंगा बेच रहा है तो जो रिसेलर है वो उसको चाहकर भी सही प्राइस पर आगे कस्टमर्स को नहीं बेच पाएगा और रिसेलर्स का धंधा इस चीज से इंपैक्ट होता है। इसलिए इन लोगों ने रियल टाइम प्राइस कंपैरिजन का इंजन यहां पे सेट किया। रिजल्ट क्या निकला? 99.7% जो प्राइसिंग थी ना वो मार्केट वैल्यू पर आ गई। मतलब कि मार्केट रेट से.
बहुत ज्यादा महंगा बिकना सीन बंद हो गया। एंड अगेन ये जो डाटा है ना ये ईवाई के रिस्क मैनेजमेंट एनालिसिस रिपोर्ट के अंदर मेंशंड है। अब पांचवा और काफी खतरनाक क्राइसिस जो इनको आया वो था प्लेटफार्म अब्यूज। अब देखो यहां पर प्रॉब्लम क्या-क्या आने लगी। जो सेलर्स थे ना वो प्लेटफार्म को यूज़ कर रहे थे लेकिन अब्यूज कर रहे थे काउंटर फीड गुड्स बेचकर नकली.
माल सप्लाई करके। अब इस चीज को सही कैसे किया? ब्रांड रजिस्ट्री प्रोग्राम इन लोगों ने सेटअप किया जहां पर 200 लोगों की टीम बनाई जो कि ब्रांड प्रोटेक्शन टीम है। मतलब कि ये लोग एक्चुअली में मेक श्योर करेंगे कि नकली माल ना बेचा जाए किसी भी सिनेरियो के अंदर। क्योंकि बहुत सारी जगहों पे क्या हो रहा था कि जो सेलर्स थे उनको नुकसान हो रहा था क्योंकि एक दूसरा.
बंदा एक काउंटर फीड गुड ले आ रहा था। उन्हीं का नकली प्रोडक्ट बेच रहा था और उसकी वजह से इनको नुकसान हो रहा था जो एक्चुअल सेलर्स थे इस प्लेटफार्म के ऊपर। अब रिजल्ट क्या हुआ इस स्ट्रेटजी का? रिजल्ट सिंपल था। 1.2 लाख लिस्टिंग्स इन्होंने रिमूव कर दी जो कि काउंटर फीड गुड्स की थी, नकली गुड्स की थी और 12,000 से ज्यादा सेलर्स को बैन किया और सही.
सेलर्स को प्लेटफार्म पर इंश्योर किया। अब अगर आप यहां तक मेरे साथ हो तो आते हैं इस केस स्टडी के सबसे इंपॉर्टेंट पार्ट की तरफ और वो ये कि Meesho की इस पूरी जर्नी से आखिर वो ऐसे कौन से पावरफुल बिज़नेस लेसंस हैं जो हम सीखकर अपने बिजनेस के अंदर इंप्लीमेंट कर सकते हैं। तो देखो जो बिज़नेस लेसंस है उसमें सबसे पहला बिज़नेस लेसन आता है अंडरस्टैंड योर रियल मार्केट।.
सो अगर मैं आपसे पूछूं व्हाट्स द Meesho स्टोरी रियली अबाउट? तो आप क्या बताओगे? यहां पर ना एक इंपॉर्टेंट लर्निंग यह है कि थिंक भारत नॉट जस्ट इंडिया क्योंकि असली इंडिया ना भारत में रहता है। टिए टू टिए थ्री सिटीज में रहता है। और यही चीज Meesho ने आइडेंटिफाई करी जो बड़े प्लेयर्स आईडेंटिफाई नहीं कर पाए थे। सो अगर आप एक बिजनेस बिल्ड कर रहे हो और आप उसको बहुत.
बड़े स्केल पर ऑपरेट करना चाहते हो तो टिए टू टियर थ्री सिटीज को भी ध्यान में रखते हुए चीजों को इंप्लीमेंट करो क्योंकि वहां पर एक्चुअली में भारत के सबसे ज्यादा लोग रह रहे हैं। अब आते हैं दूसरे लेसन पे जो कि है फीडबैक इज द अल्टीमेट गेम चेंजर। देखो Meesho को ना काफी सारे चैलेंजेस आए हैं। स्टार्टिंग से आ रहे हैं और अभी भी बहुत सारे चैलेंजेस आ रहे होंगे। जो लोग.
Meesho को एक्चुअली में यूज करते हैं वो शायद मेरे से भी ज्यादा बेटर इस चीज को बता पाए। लेकिन बिजनेस के पॉइंट ऑफ व्यू से अगर आप देखोगे तो जबजब चैलेंजेस आते हैं ना किसी भी कंपनी के अंदर तो एक कस्टमर आपको फीडबैक देता है। आपके लिएेंट है उस फीडबैक के ऊपर वर्किंग करना, इंप्रूवमेंट्स करना और अगर पॉसिबल है तो नई चीजें क्रिएट करना ताकि कस्टमर को.
आसानी हो। तो आपका कस्टमर आपको सिग्नल देता है। इंपॉर्टेंट बस यह है कि आप उसके ऊपर तुरंत कितना ध्यान दे रहे हो और एक्शन सही से ले रहे हो या नहीं ले रहे हो अपने बिजनेस को आगे ले जाने के लिए। सो यस, अगर आप सही तरीके से फीडबैक कलेक्ट करके उसके ऊपर काम करते हो, तो आपके बिजनेस को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। एंड जाते-जाते एक सिंपल सा रिक्वेस्ट। अगर.
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