इमेजिन करो कि आपके पास एक आईडिया [संगीत] है। छोटा सिंपल सा आईडिया। आप इस आईडिया को लेकर मार्केट में उतरते हो। लोग बहुत हंसते हैं। आपका मजाक भी उड़ाते हैं। कौन है तू? कौन है? कौन है? क्या औकात क्या है तेरी? लेकिन फिर भी आप लगे रहते हो। धीरे-धीरे वही आईडिया एक रिवॉल्यूशन बन जाता है और पूरे देश के लोगों की जिंदगी.
बदल देता है। यही हुआ है Zomato के साथ। एक कंपनी जो सिर्फ रेस्टोरेंट्स के मेन्यूस को कलेक्ट करके ऑनलाइन डालती थी। जिसने सोचा भी नहीं था कि एक दिन वो इंडिया की बिलियन डॉलर यूनिकॉर्न बन जाएगी। लेकिन ये सब हुआ कैसे? कौन सी स्ट्रेटजीस थी इसके पीछे? क्या मार्केटिंग हैक्स थे? जिनसे Zomato ने sविg, Uber ईटs जैसे जाइंट्स को कंपटीशन में बहुत पीछे.
छोड़ दिया। क्या था वो सीक्रेट? जिसको समझ के Zomato ने पूरा फूड इंडस्ट्री हिला दिया। यह वीडियो बस एक नॉर्मल सक्सेस स्टोरी नहीं है। यह वीडियो एक ब्लूप्रिंट है आपके लिए कि कैसे एक सिंपल आईडिया, सही मार्केटिंग और थोड़ी सी क्रिएटिविटी के साथ बिलियन डॉलर एंपायर बनाया जा सकता है। तो रेडी हो जाओ क्योंकि जो आप देखने वाले.
हो वो आपके सोच को पूरी तरह से बदल देगा। चलो डीप ड्राइव करते हैं Zomato की अनबिलीवेबल सक्सेस के अंदर। [संगीत] कहानी शुरू होती है 2008 में जब दीपेंद्र गोयल और पंकज चड्डा दो नौजवान आईआईटी दिल्ली के ग्रेजुएट्स एक सिंपल से ऑब्जरवेशन से एक गेम चेंजिंग आईडिया लेके आते हैं। हुआ ये कि दोनों गुड़गांव में.
बेन एंड कंपनी में नौकरी कर रहे थे। ऑफिस में लंच टाइम पे रोज एक ही प्रॉब्लम होती थी। कैंटीन के पास रेस्टोरेंट के मेन्यूस की लंबी लाइन लग जाती थी और हर एंप्लई अपना टाइम वेस्ट करता था मेन्यू को देखने में। तब दीपेंद्र को एक आईडिया स्ट्राइक हुआ। क्या हो अगर हम इन सारे रेस्टोरेंट्स के मेन्यूस को स्कैन करके ऑनलाइन अपलोड कर दे तो। आईडिया बहुत सिंपल था लेकिन एक ऐसी.
डेली लाइफ प्रॉब्लम को सॉल्व कर रहा था जिससे रोज लाखों लोग फेस करते हैं। और इसी सिंपल आईडिया के साथ शुरू हुआ फूडी बे। जी हां, Zomato का ओरिजिनल नेम फूडी बे ही था। इसकी वजह से यूज़र्स का टाइम बहुत ज्यादा बच रहा था और रेस्टोरेंट ओनर्स को भी ज्यादा कस्टमर्स मिल रहे थे। दोनों तरफ विनविन सिचुएशन क्रिएट हो गई। शुरुआत में दीपेंद्र और पंकज वीकेंड्स पे खुद ही.
रेस्टोरेंट में जाते थे। मेन्यूस कलेक्ट करते थे। फोटोस खुद ही खींचते थे। कुछ ही महीनों में फूडी बे गुड़गांव में बहुत पॉपुलर होने लगी। लोगों को बहुत ज्यादा सर्विस पसंद आने लगी और इस इनिशियल सक्सेस को देखकर उन्होंने दिल्ली एनसीआर के बाकी सिटीज में भी एक्सपैंड करना शुरू कर दिया। अब देखो इस वक्त फूडीबे को सीधे पैसे नहीं मिल रहे थे। क्योंकि यह एक फ्री सर्विस.
थी। तो पैसे कैसे कमाएंगे भाई? और यहीं पे स्मार्ट एंटरप्रेन्योरशिप का फंडा आता है। पहले ऑडियंस को बिल्ड करो पैसे बाद में आ जाएंगे। 2010 में जब फूडीबे की पॉपुलैरिटी काफी ज्यादा बढ़ गई तब कंपनी ने अपना पहला फंडिंग राउंड रेज़ किया infoed से जो कि ncry.com की पेरेंट कंपनी है। और पहली बार इन्हें $1 मिलियन का सीड इन्वेस्टमेंट मिला और इसी इन्वेस्टमेंट के साथ फडीबे का.
नाम बदलकर zomato रख दिया गया। अब सवाल है नाम zomato ही क्यों रखा गया? डिपेंडर और टीम चाहते थे कि कंपनी का नाम बहुत ज्यादा यूनिक हो, कैची हो और याद रखना बहुत ज्यादा आसान हो। फूडी पे नाम सुनकर लोग eb से कंफ्यूज हो जाते थे। तो एक ब्रेन स्टार्मिंग सेशन के बाद नाम फाइनल हुआ Zomato जो टोमैटो के साथ बहुत रम करता था और इंस्टेंटली कैची भी लग रहा.
था। रिब्रांडिंग के बाद Zomato ने जबरदस्त तरीके से एक्सपैंड करना शुरू किया। अब यह सिर्फ गुड़गांव या दिल्ली की कंपनी नहीं थी। यह मुंबई, बोर, हैदराबाद और देश के बड़े-बड़े सारे शहरों में फैल चुकी थी। हर जगह लोग इस नए प्लेटफार्म के दीवाने हो गए थे। क्योंकि Zomato ने हर फूड लवर के लाइफ को बहुत सिंपल बना दिया था। लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत थी। इसके बाद जो हुआ उसने.
फूड इंडस्ट्री को पूरा बदल दिया। Zomato अब सिर्फ एक ऑनलाइन मेन्यू की वेबसाइट नहीं रही। यह एक रिवॉल्यूशनरी प्लेटफार्म बनने जा रही थी। जिसका असली गेम शुरू होने वाला था। क्या था यह नेक्स्ट स्टेप? और कैसे एक स्मॉल स्टार्टअप इतने बड़े कॉमटीशन को बीट कर पाया? चलो अब इस कहानी के सबसे एक्साइटिंग चैप्टर्स की तरफ बढ़ते हैं।.
2018 में Zomato ने एक ऐसी स्ट्रेटजी पकड़ी जिसने पूरी मार्केटिंग गेम ही बदल दी। यह स्ट्रेटजी थी मीम्स की पावर और ऑडियंस के साथ रियल कनेक्शन बनाने की क्षमता। देखो मीम का मतलब सिर्फ फनी इमेजेस नहीं होता। मीम का असली मतलब है कल्चरल कनेक्शन, रिलेटेबल कंटेंट और एक इमोशन जो ऑडियंस के दिल को इंस्टेंटली हिट करता हो। Zomato ने इस कांसेप्ट को समझा.
और मीम्स को अपनी मार्केटिंग का कोर बना लिया। अब Zomato का हर सोशल मीडिया पोस्ट सिर्फ एक ऐड नहीं बल्कि एंटरटेनमेंट था। लोगों को लगता ही नहीं था कि Zomato उन्हें कुछ बेच रहा है। Zomato की ट्वीट्स और Instagram पोस्ट्स वायरल होने लगी क्योंकि वो रियल लाइफ सिनेरियोस को क्रिएटिवली मीम्स में कन्वर्ट कर रहे थे। फॉर एग्जांपल जब भी आईपीएल या क्रिकेट.
वर्ल्ड कप होता था। Zomato तुरंत मीम स्टाइल ट्वीट्स करना शुरू कर देता था। जैसे मैच जीतने की खुशी में आज पार्टी मेरी तरफ से। Zomato प्रोमो कोड जीत गए। ऐसे रिलेटिबल और विटी कंटेंट ने लोगों को मजबूर कर दिया कि वो Zomato को फॉलो करें और फ्रेंड्स के साथ उसके मीम्स भी शेयर करता रहे। इस क्विक मीम क्रिएशन से Zomato हमेशा ट्रेंडिंग पर रहता और ब्रांडिंग की.
अवेयरनेस कंटीन्यूअसली बढ़ती रहती। अब मीम्स की मार्केटिंग में एक बहुत बड़ा सीक्रेट होता है ऑडियंस के इंगेजमेंट का। Zomato ने अपने सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स के साथ रेगुलरली इंटरेक्ट करना शुरू किया। अगर किसी ने Zomato को फनी कमेंट किया तो Zomato भी उसका इक्वली फनी रिप्लाई करता था। यह चीज लोगों को इंप्रेस करने लगी कि Zomato एक फ्रेंडली और अप्रोचेबल ब्रांड.
है। कोई कॉर्पोरेट नहीं है जो सिर्फ पैसा बनाना चाहता है। इसी मीम मार्केटिंग और रिलेटेबिलिटी की वजह से Zomato की डाउनलोड्स, ऑर्डर्स और डेली एक्टिव यूज़र्स में जबरदस्त ग्रोथ हुई। 2019 तक आते-आते Zomato के सोशल मीडिया अकाउंट सिर्फ एक बिज़नेस अकाउंट नहीं बल्कि एक डिजिटल एंटरटेनमेंट हब बन चुका था। पर Zomato यहीं रुकने वाला नहीं था। मीम्स की पावर.
तो सिर्फ पहली सीडी थी दोस्त। अब Zomato कुछ ऐसा करने वाला था जिसने पूरे इंडिया को सरप्राइज कर दिया। जब मार्केट में SGI, Uber, ETS और बाकी कॉम्पिटिटर्स अपने फुल फोर्स में एंट्री कर चुके थे, तब Zomato को समझ आ गया कि सिर्फ मीम्स और फनी ट्वीट्स के साथ काम नहीं चलेगा बॉस। अब टाइम था अगले लेवल पर जाने का। मतलब बिग बजट कैंपेन और सेलिब्रिटी मार्केटिंग के.
जरिए मास अटेंशन को ग्रैब करने का। 2021 में Zomato ने एक गेम चेंजिंग कैंपेन ल्च किया जिसका नाम था हर कस्टमर है स्टार। इस कैंपेन में उन्होंने बॉलीवुड सुपरस्टार्स ऋतिक रोशन और कैटरीना कैफ को कास्ट किया। जहां ये बड़े स्टार्स Zomato के डिलीवरी पार्टनर्स का वेट कर रहे होते हैं और डिलीवरी पार्टनर्स स्टार्स को रिकॉग्नाइज तक नहीं करते। उन्हें पहचानते भी नहीं.
क्योंकि उनका फोकस सिर्फ कस्टमर की सेटिस्फेक्शन पर है। यह कैंपेन इंस्टेंट हिट रहा क्योंकि इसमें एक बहुत स्ट्रांग मैसेज था कि Zomato के लिए हर कस्टमर एक सेलिब्रिटी है और डिलीवरी पार्टनर्स के लिए हर एक ऑर्डर इक्वली इंपॉर्टेंट है। इसी दौरान Zomato ने कोविड-19 लॉकडाउन के वक्त भी काफी ज्यादा एक्टिव रोल प्ले किया। डिलीवरी पार्टनर्स की सेफ्टी और.
हाइजीन को बहुत अच्छे से मेजर किया गया। उस पे फोकस किया गया। उन्होंने कस्टमर्स को भी अश्योर करने के लिए कई सारे मार्केटिंग कैंपेन चलाए। जैसे कि सेफ है, रिलायबल है, Zomato है। यह कैंपेन लोगों को इमोशनली टच कर गए और उनका ट्रस्ट Zomato पर और भी ज्यादा बढ़ गया। 2022 और 2023 में Zomato ने अपने ब्रांड इमेज को और एलिवेट करने के लिए पैन इंडिया कैंपेन.
पर इन्वेस्ट किया। उन्होंने YouTube, Instagram, Facebook, टीवी और आउटडोर होर्डिंग्स के थ्रू अपनी प्रेजेंस बहुत स्ट्रांग कर ली। हर एक कैंपेन का एक ही मैसेज था। ट्रस्ट, रिलायबिलिटी और कन्वीनियंस। Zomato अब सिर्फ एक फूड डिलीवरी ऐप नहीं था बल्कि एक डेली लाइफस्टाइल पार्टनर बन चुका था। पर इन कैंपेन के साथ ही Zomato को एक और चैलेंज.
फेस करना पड़ा फाइनेंशियल प्रेशर का। इन्वेस्टर्स अब प्रॉफिटेबिलिटी मांग रहे थे। क्योंकि बड़े कैंपेन का मतलब था बड़ा ऐड स्पेंड। Zomato ने यह रिस्क क्यों लिया होगा और क्या यह मार्केटिंग स्पेंड्स एक्चुअल में बिजनेस को ग्रो कर पाए या नहीं? यह जानने के लिए हम आगे के सेक्शंस में Zomato के फाइनशियल्स और रिटर्न्स को भी डीपली समझेंगे। पर पहले चलते हैं उन.
साइकोलॉजिकल स्ट्रेटजीस की तरफ जिनका यूज़ Zomato करता है जिससे कस्टमर बार-बार ऐप को ओपन करते हैं और ऑर्डर करने से खुद को रोक ही नहीं पाते। यह है Zomato की सीक्रेट मार्केटिंग रेसिपी जो कॉम्पिटिटर्स भी कॉपी करना चाहते हैं। Zomato की मार्केटिंग सिर्फ एड्स और मीम्स तक लिमिटेड नहीं है। इसकी असली ताकत छुपी हुई है उन पावरफुल साइकोलॉजिकल स्ट्रेटजीस.
में जो वो कस्टमर्स के माइंड के साथ खेलने के लिए यूज करते हैं। क्या आपने कभी नोटिस किया है? जब भी आप Zomato की ऐप ओपन करते हो तो सबसे पहले क्या दिखता है? हैवी डिस्काउंट के बैनर्स, काउंट डाउन टाइमर्स और फ्रेजेस जैसे लिमिटेड टाइम ऑफर, हरी अप लास्ट फ्यू मिनट्स या स्पेशली क्यूरेटेड फॉर यू। यह कोई कोइंसिडेंस नहीं है दोस्त बल्कि एक केयरफुली प्लान साइकोलॉजिकल.
टैक्टिक है। इसको बोलते हैं अर्जेंसी मार्केटिंग। एक और चीज है जो Zomato ब्रिलियंटली करता है। वो है पर्सनलाइजेशन। आप जब भी ऐप ओपन करते हो ना तो रिकमेंडेशंस आपकी पास्ट सर्चेस, फेवरेट क्वज़ंस, लोकेशन और बजट के अकॉर्डिंग ही दिखाता है वो। ये स्ट्रेटजी कस्टमर को इमोशनली कनेक्ट करती है क्योंकि कस्टमर को फील होता है कि Zomato उसकी पर्सनल चॉइस.
को भी बहुत अच्छे से समझता है। उसकोेंस देता है और सिर्फ इतना ही नहीं प्राइसिंग स्ट्रेटजी भी Zomato की मार्केटिंग का बहुत स्ट्रांग पिलर है। Zomato के मेन्यू पर आप कभी भी राउंडेड फिगर्स नहीं देखोगे जैसे ₹300 की जगह ₹299। यह चार प्राइसिंग स्ट्रेटजी है जिसमें साइकोलॉजिकली कस्टमर को लगता है कि वह कम पैसे स्पेंड कर रहे हैं जबकि डिफरेंस सिर्फ ₹1 का है। लेकिन.
यह ₹1 कस्टमर के माइंड को कन्विंस कर देता है कि वो स्मार्ट स्पेंडिंग कर रहे हैं। इसी के साथ Zomato ने एक यूनिक गेमिफिकेशन स्ट्रेटजी भी अपनाई है। जैसे Zomato Pro प्रो मेंबरशिप जिसमें कस्टमर्स को फील होता है कि वो एक एक्सक्लूसिव क्लब का हिस्सा है। जहां उनको स्पेशल प्रिविलेजेस बहुत सारे मिल रहे हैं। जब भी कस्टमर यह मेंबरशिप लेते हैं ना तो उनको लगता है कि.
वह अब प्रिविलेज्ड हैं और अब उनको रिपीटेडली Zomato पे ही ऑर्डर करना चाहिए ताकि वह इस प्रिविलेज को फुल्ली यूटिलाइज कर सकें। इन सारी स्ट्रेटजीज़ को कंबाइन करके Zomato कस्टमर के माइंड में एक बहुत स्ट्रांग इमोशनल और साइकोलॉजिकल बॉन्डिंग बनाता है। और यही वो हिडन फार्मूला है जिससे Zomato आपके माइंड और आपके इमोशंस को इन्फ्लुएंस करके अपने बिजनेस को हर दिन.
ग्रो कर रहा है। अब आपको समझ आया ना कि क्यों Zomato के कस्टमर्स बार-बार ऐप ओपन करते हैं और अपनी मर्जी से नहीं बल्कि Zomato की मर्जी से ऑर्डर करते हैं। [संगीत] जब एक ब्रांड इतनी पॉपुलैरिटी हासिल करता है ना तो पब्लिक की एक्सपेक्टेशंस भी उतनी ही ज्यादा बढ़ती है और साथ ही बढ़ती है रिस्पांसिबिलिटीज और कंट्रोवर्सीज। एक तरफ.
जहां zomato की क्रिएटिविटी और सोशल मीडिया का कुरकी अंदाज यूथ को अट्रैक्ट करता है, वहीं कुछ लोग जोatो की कंट्रोवर्शियल स्टेटमेंट्स को लेकर नाराज भी हुए हैं। फूड हैज़ नो रिलजन। यह वाला स्टेटमेंट आपको याद है ना? जब एक कस्टमर ने कहा कि डिलीवरी बॉय का रिलजन उसके रिलजन से अलग है और उसे ऑर्डर नहीं चाहिए। तब Zomato ने रिप्लाई किया था फूड डजंट.
हैव अ रिलजन। इट इज अ रिलजन। इस ट्वीट ने ब्रांड को ओवरनाइट हीरो बना दिया। लोगों ने खुलकर सपोर्ट किया लेकिन इसी वजह से Zomato को काफी ट्रोलिंग और क्रिटिसिज्म भी फेस करना पड़ा था। फिर बात आती है वर्कर्स और डिलीवरी पार्टनर्स की कंडीशंस की। काफी बार Zomato पर एलिगेशंस लग चुके हैं कि वो अपने राइडर्स को फेयर वेजेस और वर्किंग कंडीशंस प्रोवाइड नहीं कर रहे.
हैं। ये एक बहुत सेंसिटिव टॉपिक है क्योंकि फूड डिलीवरी ऐप का रियल बैकबोन उनके डिलीवरी पार्टनर्स ही होते हैं। सोशल मीडिया पर कई बार लोगों ने राइडर्स की एक्सप्लइटेशन की वीडियोस और स्टोरीज शेयर करी जिससे Zomato की इमेज पर बहुत नेगेटिव इंपैक्ट भी पड़ा है। पर दूसरी तरफ देखा जाए तो हमने सोशल मीडिया पर यह भी देखा कि इनके फाउंडर और सीईओ दीपेंद्र गोयल खुद.
डिलीवरी पार्टनर बनकर मार्केट में उतरते हैं। मॉल के अंदर जा रहे होते हैं और वो बताते हैं कि जस्ट बिकॉज़ मैं जानना चाहता हूं कि मेरे डिलीवरी पार्टनर को क्या परेशानियां फेस करने को मिलती है। इसी वजह से मैं खुद आज डिलीवरी पार्टनर बन के यहां पे आया। यहां तक कि कोविड-19 पेंडेमिक में भी जोमैटो ने फूड डिलीवरी को एसेंशियल सर्विस बनाकर अपनी इमेज को पॉजिटिवली बहुत.
ज्यादा इनफोर्स भी किया। लॉकडाउन के टाइम जब लोग घरों में बंद थे, Zomato और उनके डिलीवरी पार्टनर्स लोगों की जिंदगी में खाना ही नहीं एक उम्मीद भी लेकर आए। Zomato फीड इंडिया जैसे इनिशिएटिव्स की वजह से लैक्स ऑफ माइग्रेंट वर्कर्स और जरूरतमंद लोगों को खाना प्रोवाइड किया गया। जिससे उनके पब्लिक परसेप्शन में काफी पॉजिटिव इंप्रूवमेंट हुआ। लेकिन इन सब.
मेमोरेबल कैंपेन, स्ट्रेटजीस और पब्लिक रिएक्शन का फाइनेंसियल इंपैक्ट क्या है? कितना पैसा लग रहा है? और रिटर्न क्या मिल रहा है? [संगीत] मार्केटिंग जितनी भी धमाकेदार हो, कैंपेन चाहे कितना भी वायरल हो जाए, अगर उसके पीछे पैसा नहीं कमा रहे हो, तो सब जीरो है। Zomato जैसे स्टार्टअप के लिए.
मार्केटिंग सिर्फ क्रिएटिविटी नहीं एक इन्वेस्टमेंट है जिसका रिटर्न क्लियरली विज़िबल होना जरूरी है। पिछले कुछ सालों में Zomato ने अपनी मार्केटिंग पर अंधाधुंध पैसा लगाया है। 2022 तक Zomato का एनुअल मार्केटिंग स्पेंड लगभग ₹10 करोड़ तक पहुंच चुका था। मतलब हर महीने एवरेज ₹100 करोड़ सिर्फ मार्केटिंग और एडवर्टाइजमेंट पर खर्च हो रहे थे। मतलब.
दिन का ₹3.5 करोड़ से ज्यादा। अब सवाल यह है कि क्या इतना बड़ा खर्चा वर्थ इट है? आरओआई क्या है? सिंपल शब्दों में कहे तो यह मार्केटिंग का बॉम्बस्टिक बजट बिजनेस में कितने पैसे लेकर आ रहा है? इस सवाल का जवाब देने से पहले थोड़ा डाटा देख लेते हैं। 2022 में Zomato की रेवेन्यू 110% तक जंप हुई और रेवेन्यू ₹4192 करोड़ क्रॉस कर गए। कंपनी की.
वैल्यू्यूएशन भी आईपीओ के समय तक लगभग 66000 करोड़ तक पहुंच गई। लेकिन दूसरी तरफ प्रॉफिटेबिलिटी तब भी एक बहुत बड़ा चैलेंज था। Zomato ने 2022 में ₹122 करोड़ का नेट लॉस रिकॉर्ड किया जो इन्वेस्टर्स और मार्केट के लिए एक टेंशन वाली बात थी। फिर भी यहां एक और इंटरेस्टिंग चीज नोट करने वाली है कि Zomato की मार्केटिंग स्पेंड का असर सिर्फ.
डायरेक्ट सेल्स और रेवेन्यू पर नहीं बल्कि लॉन्ग टर्म ब्रांड वैल्यू पर भी हुआ है। जब Zomato एक मीम वायरल करता है ना जब वो ट्रेंडिंग टॉपिक में रहकर यंग जनरेशन को अट्रैक्ट करता है तब वो सिर्फ करंट ऑर्डर्स नहीं ले रहा होता है। वो फ्यूचर कस्टमर्स भी क्रिएट कर रहा होता है। इसीलिए अगर स्ट्रिक्टली फाइनेंसियल एंगल से आरओआई देखा जाए तो शायद उस टाइम पे.
नंबर्स सेटिस्फेक्टरी नहीं लग रहे थे। लेकिन अगर लॉन्ग टर्म ब्रांड बिल्डिंग, मार्केट डोमिनेंस और इमोशनल कनेक्ट को भी फैक्टर करें तो Zomato की मार्केटिंग स्ट्रेटजी का आरओआई बहुत डीपर है जो शॉर्ट टर्म लॉसेस को भी लॉन्ग टर्म विंस में बदल सकता है और यही होता है एक विज़नरी स्टार्टअप का माइंडसेट। वो सिर्फ शॉर्ट टर्म प्रॉफिट्स नहीं देखता बल्कि लॉन्ग.
टर्म डोमिनेशन की प्लानिंग करता है। Zomato ने ये बात बहुत क्लियरली समझ ली थी कि पैसे खर्च करना इंपॉर्टेंट नहीं है। इंपॉर्टेंट है उन पैसों को सही जगह पे इन्वेस्ट करना। कस्टमर्स के दिलों में, उनके हैबिट्स में, उनके इमोशंस में इन्वेस्ट करना। और इसी मार्केटिंग जीनियस स्ट्रेटजीस ने Zomato को इंडिया के टॉप स्टार्टअप्स की लीग में खड़ा कर दिया। अब.
सवाल यह है आप क्या सोचते हैं? क्या Zomato का यह एग्रेसिव मार्केटिंग स्ट्रेटजी सही है या उन्हें कॉस्ट कटिंग करके प्रॉफिटेबिलिटी पे थोड़ा ज्यादा ध्यान देना चाहिए? मुझे कमेंट्स में जरूर बताना। अब Zomato की कहानी सुनने के बाद आपने यह सोचा होगा कि यह सब हमारे लिए क्या लेसंस लेकर आए हैं। देखो दोस्तों, सक्सेस का एक फिक्स्ड फार्मूला नहीं होता.
है। लेकिन सक्सेसफुल लोगो और बिनेसेस की जर्नी से कुछ पावरफुल लेसंस जरूर निकाले जा सकते हैं। सबसे पहला लेसन है एडप्टेबिलिटी। Zomato एक फूड लिस्टिंग और रिव्यूज की वेबसाइट थी, लेकिन जब मार्केट की डिमांड बदली, तो उन्होंने फ़ूड डिलीवरी में पिवट किया। याद रखो दुनिया में सिर्फ वही सर्वाइव करता है जो चेंज को एक्सेप्ट करने की कैपेसिटी और कैपेबिलिटी रखता हो।.
दूसरा पावरफुल लेसन है अटेंशन। मार्केटिंग का मतलब सिर्फ पैसा खर्च करना नहीं है। मार्केटिंग का मतलब है लोगों की अटेंशन को पकड़ना। Zomato ने मीम्स और रिलेटेबल कंटेंट की मदद से लोगों का ध्यान पकड़ा और एक इमोशनल कनेक्शन को बिल्ड किया। अगर आप अटेंशन को मास्टर करना सीख गए तो सक्सेस अपने आप आपको फॉलो करेगी। तीसरा और सबसे इंपॉर्टेंट लेसन है लॉन्ग टर्म थिंकिंग।.
Zomato ने शॉर्ट टर्म प्रॉफिट्स के बदले लॉन्ग टर्म ग्रोथ और ब्रांड बिल्डिंग पर फोकस किया। और इसी वजह से आज Zomato इंडिया की टॉप यूनिकॉर्न्स में से एक है। और आखिर में ये याद रखना कि इनोवेशन और एक्सपेरिमेंटेशन के बिना कोई भी ब्रांड आगे नहीं बढ़ता। Zomato ने हमेशा नए आइडियाज को ट्राई किया, नए कैंपेन चलाए और फेलियर से कभी नहीं डरे। क्योंकि दोस्तों.
फेल होना बुरी बात नहीं है। फेल होने के बाद सीख ना लेना बहुत बुरी बात है। तो, यह थी Zomato की कहानी। एक ऐसा आईडिया जो शुरू हुआ था सिर्फ एक सिंपल थॉट से लेकिन आज इंडिया की सबसे आइकॉनिक कंपनीज़ में से एक बन चुका है। अगर इस पूरी कहानी में से आप सिर्फ एक चीज भी लेके जाओ ना तो वो होना चाहिए कि बड़े सपने देखना गलत बात नहीं है। क्योंकि हर एक बड़ा एंपायर एक.
सपने से ही शुरू होता है। और अगर जोatो एक छोटे से ऑफिस से शुरू होकर लाखों लोगों की जिंदगी बदल सकता है तो मेरे भाई आप भी कुछ बहुत बड़ा करने के लिए पैदा हुए हो। हर एक सक्सेस की स्टोरीज में स्ट्रगल्स होते हैं, फेलियर्स होते हैं और रिस्क भी होता है। लेकिन जो हिम्मत दिखाते हैं ना, जो क्रिएटिवली सोचते हैं और जो गिव अप कभी भी नहीं करते, उनकी कहानी हमेशा याद रखी जाती.
है। मुझे कमेंट्स में यह जरूर बताना कि आप और कौन-कौन सी कंपनीज़ के, ब्रांड्स की केस स्टडीज को देखना चाहते हो। मैं मिलूंगा आपसे अगली वीडियो के अंदर। अगर आप चैनल पे पहली बार आए हैं तो सब्सक्राइब जरूर कर लेना। नहीं तो हो सकता है इस सोशल मीडिया की भीड़ में यह चैनल कहीं खो जाए। और जाते-जाते अगर आप ऐसे बिज़नेस आईडियाज के बारे में जानना चाहते हो जो कभी भी बंद हो.
ही नहीं सकते। एवरग्रीन बिज़नेसेस हैं और बहुत कम इन्वेस्टमेंट से आप शुरू कर सकते हैं। टॉप फोर बिनेसेस तो राइट वाली वीडियो पे क्लिक कर देना।