दोस्तों भारत में आज हर दिन 22 लाख से भी ज्यादा फूड ऑर्डर डिलीवरी किया जाते हैं स्पेशली पांडे के बाद ऑनलाइन फूड डिलीवरी का बिजनेस लगातार गो कर रहा है एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में इंडिया की फूड डिलीवरी मार्केट लगभग 3 बिलियन डॉलर्स की थी जिसमें 70% मार्केट शेर अकेले जोमाटो और स्विग्गी का है और अनुमान लगाया गया है की 2025 तक ये मार्केट 35% से गो करके 13.

बिलियन डॉलर्स का हो जाएगा लेकिन क्या आप जानते हैं की इंडिया में फूड डिलीवरी बिजनेस जोमैटो या स्वाइन नहीं बल्कि मुंबई की एक लोकल कंपनी ने 1890 में ही शुरू कर दिया था जी हां अल में हम बात कर रहे हैं वर्ल्ड फेमस डब्बावाला की जो नहीं जानते उनके लिए बता दें की डब्बावाला मुंबई बेस्ड एक टिफिन डिलीवरी कंपनी है जो आपके घर का बना हुआ खाना घर से उठाकर आपके ऑफिस.

में पहुंचने हैं और लंच होने के बाद खाली डब्बा आपके घर वापस डिलीवर करते हैं इनका टिफिन डिलीवरी सिस्टम इतना यूनिक और सटीक है की इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है लेकिन क्या आप जानते हैं की 130 साल से अपनी सर्विसेज दे रहा डब्बावाला इस समय काफी मुश्किलों से जूझ रहा है और इनका 95% तक घाट चुका है जहां 2020 से पहले यह.

हर रोज 2 लाख से भी ज्यादा टिफिन बॉक्स घर से ऑफिस तक पहुंचने थे वही अभी आंकड़ा 5000 से भी कम हो गया है तो सवाल ही उठाता है की इतना बड़ा बिजनेस आखिरकार एकदम से थप कैसे पड़ता जा रहा है तो हमेशा की तरह स्टार्टअपाइनरीज पर आपका स्वागत है जहां हम बिजनेस स्टार्टअप्स और एंटरप्रेन्योरशिप से जुड़े वीडियो बनाते हैं और आज की इस वीडियो में हम जाएंगे.

डब्बावाला बिजनेस मुंबई में कैसे इतना बड़ा बना इसकी शुरुआत कैसे हुई और आज सीरीज कंपनियां किस तरह से इस बिजनेस को जड़ से खत्म कर रही है तो चलिए बिना किसी तरीके शुरू करते हैं आज की वीडियो दोस्तों डब्बावाला बिजनेस जो की पुरी मुंबई में फैला हुआ था वो अचानक से 2 सालों में किस तरह से बैंड हुआ इसके पीछे दो मेजर रीजंस हैं जिनके बड़े में हम बाद में बात करेंगे.

लेकिन इससे पहले आई जान लेते हैं की आखिरकार डब्बावाला बिजनेस किस तरह से शुरू हुआ था और ये मुंबई में कैसे कम करता है दोस्तों मुंबई में टिफिन सर्विसेज की शुरुआत सन 1890 में हुई जब एक पारसी बैंकर को अपने ऑफिस में घर का बना खाना खाने के लिए चाहिए इसके लिए उन्होंने एक डिब्बे वाले को हीरे किया जिसके बाद कई लोगों को ये आइडिया वाकई में बहुत पसंद है और देखते.

ही देखते टिफिन डिलीवरी की मांग बढ़नी चली गई ऐसा कहा जाता है की महादूहाजी बच्चे नाम के व्यक्ति ने सबसे पहले मुंबई में नूतन टिफिन सर्विसेज की शुरुआत की थी और इसे ही आज डब्बावाला या डब्बे वाले के नाम से जाना जाता है शुरुआत में डब्बावाला सर्विसेज नियर बाय लोकेशन ताकि सीमित था और साथ ही इनके ग्राहक भी बहुत कम थे लेकिन जैसे-जैसे समय बीता गया डब्बावाला.

डिलीवरी की मांग बढ़नी गई अगर हम वर्तमान की बात करें तो अभी डब्बावाला के साथ 5000 से भी ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं जो हर दिन 2 लाख से भी ज्यादा टिफिन बॉक्स लोगों तक पहुंचने हैं अब ये लोग डिलीवरी के लिए साइकिल और मुंबई की लोकल ट्रेन की सहायता लेते हैं ताकि लोगों तक उनका लंच बॉक्स समय पर पहुंचा जा सके आप ऑफिस के लिए लेट हो सकते हैं लेकिन एक टिफिन वाला आपका लंच.

आप तक पहचाने में कभी भी लेट नहीं हो सकता ये मंत्र तीन घंटे में आपका टिफिन बॉक्स आपके ऑफिस टेबल तक पहुंच देते हैं डब्बावाला के साथ जुड़े ज्यादातर लोग पढ़े लिखे नहीं होते हैं इनमें से 75% लोग तो ऐसे हैं यानी की 75% लोग ऐसे हैं जो पांचवी पास भी नहीं है लेकिन सबसे खास बात यह है की टिफिन की पहचान और उसे सही इंसान तक पहचाने में ये कभी भी कोई गलती नहीं.

करते हर टिफिन पर कोडिंग इस तरह से की जाति है की जी व्यक्ति का टिफिन है वो इस को मिलता है दोस्तों डब्बावाला बिजनेस के इसी बहतरीन कम करने के आइडिया को देखते हुए आज इनका बिजनेस मॉडल भारत के सर्वश्रेष्ठ आईआईटी कॉलेज के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में भी बच्चों को पटाया जाता है अब सवाल ये उठाता है की इतना बड़ा बिजनेस मॉडल जिसे विदेश.

में पटाया जाता है आखिरकार बैंड होने की कागर पर क्यों पहुंच गया दरअसल दोस्तों डब्बावाला बिजनेस की बर्बादी के पीछे दो मेजर रीजंस हैं जिसमें से पहले है पांडेमिक और दूसरा है जोमैटो और स्विग्गी वो कैसे आई जानते हैं साल 2020 ये तो आपको याद ही होगा ना जो हमारे देश में कोविड-पांडोम में कहा था जिसने सभी की जिंदगी में उथल-पुथल मचाकर रख दी थी लोगों.

को घरों के अंदर बैंड होकर रहना पड़ा था लाखों छोटे बिजनेस बैंड हो गए थे और एन जान कितने मिलियंस लोग बेरोजगार हो गए थे जिसका सीधा सीधा असर डब्बावाला पर भी पड़ा था दरअसल लोग डॉ के करण स्कूल और ऑफिस बैंड हो गए थे लोगों ने घर से कम करना शुरू कर दिया था जिसके चलते अब उन्हें टिफिन की जरूर नहीं इसका नेगेटिव इंपैक्ट कुछ दोनों में डब्बावाला पर दिखाई देने.

लगा जहां पहले 5000 से भी ज्यादा एम्पलाइज हर रोज 2 लाख बो को लोगों तक पहुंचने थे और जिनकी रोजी रोटी सिर्फ इसी से चलती थी लोग डॉ ने उनका कम छन लिया बहुत से लोग अपना खर्च उठाने के लिए मजदूरी का कम करने लगे कुछ लोग खेतों में कम करने लगे तो कुछ सिक्योरिटी गार्डन बन गए पेट तो पालना था लेकिन अभी भी डब्बावाला को उम्मीद ही की जब हालात नॉर्मल होंगे तो उनका बिजनेस और.

एम्पलाई फिर से पहले की तरह मुंबई की भीड़ से भारी सड़कों पर दौड़ते हुए मुस्कुराते हुए डब्बे पढ़ते हुए नजर आएंगे और लोगों तक पहुंचने हुए नजर आएंगे सबसे बड़ी समस्या खड़ी हो गई और वो थी स्विग्गी और जोमैटो फूड डिलीवरी कंपनी जिन्होंने खुद टिफिन सर्विस शुरू कर दी अल में ये लोगों को बहुत से ऑफर्स प्रोवाइड करते थे इसीलिए लोगों ने भी डब्बावाला के.

बजे जोमैटो और स्विग्गी से खाना ऑर्डर करना शुरू कर दिया जहां पहले जोमैटो का खाना ही उनके कस्टमर तक पहचाने का कम करते थे बाद में यह घर का खाना भी उन तक पहचाने लगे अब चूंकि ये दोनों एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहां से मिनट में ही खाना ऑर्डर और डिलीवर हो जाता है इसी वजह से इसने बहुत ही जल्दी डब्बावाला के कस्टमर छन लिए इन्हीं सब रीजन से अब डब्बा वाला.

बिजनेस बैंड होने की कागर पर पहुंच गया है जहां पहले इसमें 5000 लोग कम करते थे वही अब 1000 लोग कम कर रहे हैं और इसके अलावा पहले जहां पर परसों हर रोज 30 से 35 डिबेट डिलीवर किया जाते थे वहीं अब ये संख्या घाट कर सिर्फ कर से पांच र गई है अब दोस्तों जहां सभी लोगों को ग रहा था की शायद डब्बा वाला बिजनेस पुरी तरह से खत्म हो जाएगा लेकिन वहीं दूसरी तरफ डब्बावाला.

अभी भी किसी तरह सरवाइव करने में कामयाब रहा है अब ये घर से ऑफिस तक खाना डिलीवर तो करते ही थे लेकिन अक्टूबर 2020 में इन्होंने रिस्ट्रो से भी खाना डिलीवर करने का कम शुरू कर दिया यानी की जोमैटो ने इनके बिजनेस में हाथ डाला तो इन्होंने जोमैटो के बिजनेस पे हाथ डालना शुरू कर दिया जिसमें इंप्रेसिव जैसे बड़े रेस्टोरेंट्स में डब्बा वाले को खूब.

सपोर्ट किया और उनके साथ पार्टनरशिप कर ली इसके साथ ही अपने बिजनेस को डिजिटल बनाने के लिए डब्बावाला ने 2020 में ही अपनी वेबसाइट डिजिटल dabbawala.com भी लॉन्च कर दिया जिसके तहत अब कस्टमर वेबसाइट पर जाकर अपना खाना ऑर्डर कर सकते हैं और ऑनलाइन पेमेंट के साथ साथ मंथली और एनुअल सब्सक्रिप्शन भी ले सकते हैं लेकिन आपको जानकर अफसोस होगा की इस वेबसाइट से भी.

डब्बावाला बिजनेस को कुछ खास फायदा नहीं मिल रहा है क्योंकि बहुत से लोग जो पहले डब्बा वाला सर्विस के साथ जुड़े हुए थे उससे अलग होने के बाद उन्होंने खुद की फूड डिलीवरी सर्विस शुरू कर दी है अब सवाल ही उठाता है की क्या डब्बावाला 130 साल पुरानी अपनी लिगसी वापस का सकेगा या फिर ये बिजनेस इतिहास का सिर्फ एक उदाहरण बनकर र जाएगा जिससे हम बस युटुब वीडियो और यहां.

वहां लोगों के मुंह से सुनेंगे दरअसल ये पुरी तरह से डब्बावाला कस्टमर पर डिपेंड करता है क्योंकि अभी भी कंपलीटली ऑफिसेज नहीं खोलें और बहुत से लोग क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो हो सकता है की जब साड़ी चीज पहले की तरह नॉर्मल हो जाए और डब्बावाला कंपनी फिर से प्रॉफिट बनाना शुरू कर दे डब्बावाला की सबसे प्यारी बात यह थी की इनके कस्टमर इन पर ट्रस्ट बहुत किया करते.

थे क्योंकि कभी भी उनके घर से खाने के अलावा कोई दूसरी चीज जैसे की पैसे या कोई इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट मंगवानी होते थे तो डब्बावाला उसे बहुत ही ईमानदारी के साथ डिलीवर कर दिया करते थे इसी ट्रस्ट और ईमानदारी के करण ही डब्बा वाला बिजनेस मुंबई में इतना ज्यादा फेमस और फैला हुआ था तो हो सकता है की जब सिटी पहले वाली स्पीड पर ए जाए अपनी रफ्तार पर चलने लगे.

तो डब्बा वाली सर्विस भी इस रफ्तार से चलने ग जाए और अच्छी हो जाए इसके अलावा डब्बावाला खुद भी अपनी सर्विसेज के साथ लगातार एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं हाल ही में इसने करियर बेस्ड कंपनी पेपर और पार्सल के साथ में भी पार्टनरशिप की है यहां तक की डब्बावाला ने खुद की करियर सर्विस भी शुरू कर दी है और अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में हो सकता है की.

डब्बावाला एक डिलीवरी लॉजिस्टिक्स की तरह फिर से बिजनेस में जबरदस्त कमबैक करता हुआ देखिए लेकिन ऐसा सच में होता है या नहीं यह हमें आने वाले वक्त में पता चलेगा बाकी एक्सपेरिमेंट और प्राइस और एफर्ट्स तो करने पढ़ेंगे ना बाकी आज की हमारी इस वीडियो में फिलहाल इतना ही आपको वीडियो अच्छी लगी हो तो इसे लाइक शेर जरूर कीजिएगा और अगर चैनल पर नए हैं तो.

सब्सक्राइब भी जरूर कर लीजिएगा मिलते हैं जल्दी ऐसे ही एक और इंटरेस्टिंग वीडियो में तब तक के लिए गुड बाय

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